सार

चोट लगने या क्रैम्प आने पर मेफ्टल पेन किलर लेने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें। सरकार ने इस दवा को लेकर एक सेफ्टी अलर्ट जारी किया है।

 

हेल्थ डेस्क.इंडियन फार्माकोपिया कमीशन यानी आईपीसी ने 7 दिसंबर को मेफ्टल दवा को लेकर एक सेफ्टी अलर्ट जारी किया। इसमें कहा गया कि इस दवा में मेफेनैमिक एसिड का इस्तेमाल होता है जिससे ड्रग रिएक्शन विद इओसिनोफिलिया एंड सिस्टमैटिक सिम्टम्स यानी DRESS सिंड्रोम जैसी गंभीर एलर्जी ट्रिगर हो सकती है।

मेफ्टल की मनाही क्यों ?

बता दें कि मेफ्टल एक गैर-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवा है जिसे आम तौर पर पेन किलर के रूप में लिया जाता है। दरअसल फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (PvPI) ने इस दवा के प्रतिकूल प्रभाव पर शुरुआती विश्लेषण किया जिसके बाद यह खुलासा हुआ है।

DRESS सिंड्रोम क्या है ?

जब किसी खास दवा के इस्तेमाल से गंभीर एलर्जी हो तो उसे DRESS सिंड्रोम कहते हैं। ऐसा होने पर त्वचा पर लाल चकत्ते, बुखार, हेमेटोलॉजिकल गड़बड़ी, लिम्फ नोड्स में सूजन आ सकती है और शरीर के अंदरूनी हिस्सों पर दो से आठ हफ्ते में बुरा असर पड़ सकता है। बता दें कि मेफ्टल-स्पास दवा आम तौर पर गठिया और जोड़ों के दर्द, दांत दर्द, सूजन और बुखार जैसी स्थिति में दी जाती है। इसलिए डॉक्टर और मरीजों को ये दवा लेने पर ड्रेस सिंड्रोम या अन्य तरह के प्रतिकूल प्रभाव से सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

मुसीबत वाली मेफ्टल से सावधान !

मेफ्टल-स्पास लेने से ड्रेस सिंड्रोम के अलावा पेट दर्द और कब्जियत जैसी समस्या भी हो सकती है। दवा के रिएक्शन से मुंह सूखने लगेगा, नजर धुंधली होने लगेगी और ब्लड प्रेशर भी बढ़ सकता है। साथ ही गैस्ट्रो की समस्या जैसे- पेट का अल्सर और ब्ल्डिंग भी हो सकती है। मेफ्टल के ज्यादा इस्तेमाल से महिलाओं की मां बनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। किडनी और दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ सकता है। जो पहले से ही दिल के मरीज हैं उनके लिए सावधानी ज्यादा जरूरी है।

मेफ्टल पर क्या कहते हैं डॉक्टर?

डॉक्टरों के मुताबिक बिना मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन के मेफ्टल दवा नहीं लेनी चाहिए। हालांकि उनका ये भी मानना है कि इस दवा से साइड इफैक्ट के ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं, लेकिन इसके अंधाधुंध इस्तेमाल से बचना चाहिए। जरूरी है कि मेफ्टल दवा बिना किसी डॉक्टर की सलाह के न लें। अगर दवा लेने पर एलर्जी जैसा कोई लक्षण दिखता है तो अपने डॉक्टर को फौरन बताएं। साथ ही फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (PvPI) के नेशनल को-ऑर्डिनेशन सेंटर को जरूर सूचित करें।

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