ये 4 लक्षण बताते हैं कि आप ओरल कैंसर के हो चुके हैं शिकार, जानें कैसे करें बचाव
हेल्थ डेस्क. मुंह का कैंसर (oral cancer) किसी भी हिस्से में हो सकता है। जैसे होंठ, मसूड़े, जीफ, गालों की अंदरूनी परत, मुंह के ऊपरी और निचले हिस्से में। ओरल कैंसर के कुछ अहम लक्षण दिखते हैं, जिसे अक्सर लोग इग्नोर करके इसे फैलने देते हैं।
| Published : Feb 25 2023, 07:19 AM IST
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ओरल कैंसर भारत में सबसे आम कैंसर में से एक है। साइंस डायरेक्ट में प्रकाशित 2020 के पेपर के अनुसार, तंबाकू का सेवन मुंह के कैंसर का प्रमुख कारक रहा है। गुटका, जर्दा, खैनी , सिगरेट, बीड़ी और हुक्का आदी का सेवन ट्यूमर के विकास का एक अहम कारण हैं। इन आदतों की वजह से युवा और वयस्क दोनों ओरल कैंसर के शिकार हो रहे हैं। ओरल यानी मुंह के कैंसर से जुड़े कुछ संकेत और लक्षण नजर आते हैं जिसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। आइए बताते हैं वो 4 लक्षण-
मुंह के अंदर सफेद- लाल धब्बे
मसूड़ों, जीभ, टॉन्सिल या मुंह की परत पर लाल या सफेद मोटे धब्बे दिखाई दे सकते हैं। इसे ल्यूकोप्लाकिया कहते हैं। अधिकांश ल्यूकोप्लाकिया पैच गैर-कैंसर वाले होते हैं, हालांकि, कुछ कैंसर के शुरुआती लक्षण दिखा सकते हैं। ये तंबाकू प्रोडक्ट के इस्तेमाल करने के कारण हो सकते हैं। अगर यह पैच बढ़ रहे है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
मुंह के अंदर गांठ का अनुभव होना
आप मुंह में या लसीका ग्रंथियों (गर्दन में) में गांठ को महसूस कर सकते हैं। आपको लगातार ऐसा महसूस हो सकता है कि गले में कुछ फंस गया है। गले में खराश का अनुभव हो सकता है। ये भी ओरल कैंसर का एक अहम लक्षण हैं।
दर्द या सुन्नता
बिना किसी स्पष्ट कारण के चेहरे, मुंह या गर्दन के किसी भी क्षेत्र में सुन्नपन या दर्द महसूस करते हैं तो यह भी कैंसर का संकेत है। यदि आप डेन्चर का उपयोग करते हैं तो ये लगाने में काफी कठिन होता होगा। जबड़े में दर्द या सूजन विकसित होते हैं। ऐसा दिखने पर भी डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
दांतों का खराब होना
एक या अधिक दांत बिना किसी स्पष्ट कारण के ढीले हो सकते हैं, जो कैंसर का संकेत हो सकता है। जख्म होने पर वो ठीक नहीं होता है। आप अपने दांतों या डेन्चर के एक साथ फिट होने के तरीके में भी बदलाव का अनुभव कर सकते हैं।
क्या है ट्रीटमेंट
ओरल कैंसर का ट्रीटमेंट किया जा सकता है। मुंह में ये किस जगह पर है, कौन से स्टेज पर पहुंच गया है। मरीज के पूरे स्वास्थ्य पर ध्यान रखते हुए ट्रीटमेंट किया जाता है। सर्जरी, रेडियोथेरेपी, कीमोथेरेपी जैसे कई ट्रीटमेंट ऑप्शन हैं।
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