Changed Behavior of parents During Exam: एग्जाम टाइम में पेरेंट्स का बदला बिहेवियर बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। जरूरत से ज्यादा अनुशासन, तुलना और प्रेशर बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं। 

Strict Parenting During Exams: बच्चों के हाफ इयरली एग्जाम शुरू होने वाले हैं। ऐसे में न सिर्फ बच्चों बल्कि घर के पेरेंट्स पर भी प्रेशर बढ़ गया। अगर बच्चा बड़ा है, तो वह अपने आप पढ़ लेता है लेकिन फिर भी पेरेंट्स को पूरी देख रेख करनी पड़ती है। वहीं छोटे बच्चों के साथ पैरेंट्स को साथ में बैठना पड़ता है, ताकि हर एक प्रॉब्लम का सॉल्यूशन निकाला जा सके। आमतौर पर देखने को मिलता है कि एग्जाम के टाइम पर घर का वातावरण अचानक बदल जाता है। टीवी का रिमोट छिपा दिया जाता है। सारे फंक्शन कैंसिल हो जाते हैं और फोकस सिर्फ पढ़ाई पर होता है। इस बदले वातावरण पर बच्चों का दिमाग रिलेक्स नहीं कर पाता। आइए जानते हैं क्यों एग्जाम टाइम में पेरेंट्स का बदलता बिहेवियर बच्चों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

जरूरत से ज्यादा अनुशासन पड़ सकता है उल्टा

अच्छे प्रदर्शन से लेकर भविष्य की चिंता तक के कारण पेरेंट्स बच्चों पर एक्जाम का प्रेशर बनाते हैं। कई बार ज्यादा अनुशासन उल्टा पड़ जाता है और बच्चे उसे झेल नहीं पाते हैं। बार-बार और बच्चों को पढ़ने के लिए कहना, किसी भी तरह का खुशनुमा माहौल कायम न करना, बच्चे को न पढ़ने के ताने सुनना आदि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।

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जीवन से बड़ी नहीं हैं परिक्षाएं

परिक्षाओं के दौरान बच्चों को पेरेंट्स ये एहसास भी दिलाते हैं कि बिना एक्जाम में आगे आए आप कुछ भी जीवन में नहीं कर सकते हैं। ये अपेक्षा करना गलत है। परीक्षा के दौरान खानपान से लेकर फ्रीटाइम फन तक को कायम रखें। सब कुछ समय पर होगा तो बच्चा अधिक प्रेशर महसूस नहीं करेगा। आपको सिर्फ बताना है कि पढ़ाई जीवन में अहम योगदान निभाती है लेकिन जीवन से बड़ी नहीं है।

बदल दें तुलना करने की प्रवृत्ति

क्लास चाहे जो भी हो, बच्चे बहुत अच्छे, अच्छे से लेकर एवरेज होंगे। उनमें वो बच्चे भी होंगे तो एवरेज होकर भी भविष्य में कुछ बड़ा काम करेंगे। बच्चे को हर वक्त पढ़ाई के लिए सुनाना या अन्य बच्चों से कंपेयर करना उसके कॉन्फिडेंस को कम करने का काम करेगा।तुलना की प्रवृत्ति आपके बच्चे के विकास में बाधा पहुंचा सकती है।

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