सार
जून 2013 में कोलकाता 20 साल की लड़की से गैंगरेप और उसकी हत्या को लेकर चर्चा में आया था। उसके प्राइवेट पार्ट को चीर दिया गया था। कमदुनी गैंगरेप केस नाम से चर्चित इस मामले में न्याय नहीं मिला।
कोलकाता। बीते दिनों कोलकाता के सरकारी आरजी कर हॉस्पिटल में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर की हत्या से पूरे देश में आक्रोश है। महिला को बेहद नृशंस तरीके से मारा गया। उसके प्राइवेट पार्ट में गहरा जख्म मिला। डॉक्टर के साथ गैंगरेप की आशंका है। यह शहर 2013 में भी एक ऐसे ही हत्याकांड से दहला था।
7 जून 2013 की सुबह एक 20 साल की लड़की का क्षत-विक्षत शव मिला था। उसके प्राइवेट पार्ट को चीर दिया गया था। वह द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। 6 जून की रात कोलकाता के पास कामदुनी में अकेली घर लौट रही थी। इसी दौरान उसे अगवा किया गया। गैंगरेप के बाद हत्या की गई और शव को फेंक दिया गया।
दोनों मामलों के बीच प्रमुख कड़ी कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत गोयल हैं। डॉक्टर हत्याकांड की जांच में पश्चिम बंगाल पुलिस के आचरण को लेकर उनकी आलोचना हो रही है। मंगलवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई के दौरान वकील फिरोज एडुलजी ने कहा कि यह मामला कामदुनी मामले की तरह आगे बढ़ेगा। उन्होंने दावा किया कि आरोपी को बरी कर दिया जाएगा। विनीत गोयल पर जांच को "खराब" करने का आरोप लगाते हुए एडुलजी ने कहा कि उन्हें इस केस से दूर रखा जाना चाहिए।
एडुलजी ने कहा, "यही पुलिस कमिश्नर कामदुनी हत्याकांड के समय आईजी सीआईडी थे। उन्होंने पूरे मामले को उलझा दिया, जिससे आज तक कामदुनी केस में न्याय नहीं मिला।"
कामदुनी गैंगरेप केस क्या है?
6 जून 2013 की रात डेरोजियो कॉलेज की छात्रा को कामदुनी स्थित अपने घर जाते समय अगवा कर लिया गया था। उसे एक खेत में ले जाया गया। उसके साथ क्रूरतापूर्वक गैंगरेप किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई। उसके शव को खेत में फेंक दिया गया। टीएमसी सरकार ने मामले की सीआईडी जांच के आदेश दिए थे। उस समय विशेष आईजी सीआईडी रहे विनीत गोयल ने जांच का नेतृत्व किया। मामले में 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
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आरोपी रफीकुल इस्लाम और नूर अली को ‘सबूतों के अभाव’ के कारण बरी कर दिया गया। गोपाल नस्कर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई। सैफुल अली, अंसार अली और अमीन अली को मौत की सजा सुनाई गई। शेख इमानुल इस्लाम, अमीनुर इस्लाम और भोला नस्कर को 10 साल की सजा मिली। 10 साल बाद अक्टूबर 2023 में कलकत्ता हाई कोर्ट ने दो दोषियों की मौत की सजा कम कर दी। एक अन्य व्यक्ति (जिसे निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी) को आरोपों से बरी कर दिया गया।
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