सार
अरुणा प्रदेश के लिए जीवन रेखा मानी जा रही सेला टनल(Sela Tunnel-Tunnel 1) अपने अंतिम निर्माण की ओर तेजी से बढ़ रही है। 22 जनवरी को इस सुरंग के लिए अंतिम ब्लास्ट किया गया। इस टनल के निर्माण के बाद तवांग(Tawang) को हर मौसम में कनेक्टिविटी देगा। इस का निर्माण BRO कर रहा है।
नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश के लिए जीवन रेखा मानी जा रही सेला टनल(Sela Tunnel-Tunnel 1) अपने अंतिम निर्माण की ओर तेजी से बढ़ रही है। 22 जनवरी को इस सुरंग के लिए अंतिम ब्लास्ट किया गया। इस टनल के निर्माण के बाद तवांग(Tawang) को हर मौसम में कनेक्टिविटी देगा। इस का निर्माण BRO कर रहा है। करीब 980 मीटर लंबी सेला टनल-1 के लिए यह फाइनल ब्लास्ट नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बॉर्डर रोड्स(DGBR) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने यह फाइनल ब्लास्ट किया। इस टनल के निर्माण के लिए उत्खनन समाप्ति का प्रतीक है। खराब मौसम और भारी बर्फबारी के बीच सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने यह उपलब्धि हासिल की है।
सेला टनल के बारे में
सेला सुरंग परियोजना(Sela Tunnel Project) अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले(West Kameng District) में स्थित है। एक बार टनल पूरी हो जाने पर यह एक जीवन रेखा होगी, क्योंकि यह तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। इस परियोजना में टनल 1 शामिल है, जो 980 मीटर लंबी सिंगल ट्यूब टनल है और टनल 2, जो 1555 मीटर लंबी ट्विन ट्यूब टनल है। टनल 2 में यातायात के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है। यह 13,000 फीट की ऊंचाई से ऊपर बनाई गई सबसे लंबी सुरंगों में से एक होगी। इस परियोजना में सुरंग-1 के लिए सात किलोमीटर की एक पहुंच सड़क का निर्माण भी शामिल है, जो बीसीटी रोड से निकलती है और 1.3 किलोमीटर की एक लिंक रोड है, जो सुरंग 1 से सुरंग 2 को जोड़ती है।
मोदी ने रखी थी नींव
सेला सुरंग परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में रखी थी। 15 जनवरी, 2021 को डीजीबीआर द्वारा पहला विस्फोट किए जाने के बाद सुरंग-1 पर खुदाई का काम शुरू हुआ था। इसके बाद 14 अक्टूबर 2021 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडिया गेट से एक ई-समारोह के माध्यम से सुरंग-2 पर खुदाई के अंत को चिह्नित करते हुए 1,555 मीटर सुरंग 2 के सफल विस्फोट को अंजाम दिया था।
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