सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेंगोल (Sengol) के ऐतिहासिक महत्व के बारे में क्लासिकल डांसर डॉ पद्मा सुब्रह्मण्यम ने बताया था। 2021 में उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखा था।

नई दिल्ली। इन दिनों नए संसद भवन (New Parliament building) में रखे जाने वाले सेंगोल (Sengol) की खूब चर्चा हो रही है। सेंगोल अंग्रेजों से भारत को मिली आजादी का प्रतीक है, लेकिन आजादी मिलने के बाद इसे करीब-करीब भुला दिया गया था। 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेंगोल के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने जांच कराकर मिली हुई जानकारी की पुष्टि की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेंगोल के ऐतिहासिक महत्व के बारे में पता चला तो उन्होंने इसे नए संसद भवन में रखने का फैसला किया ताकि देशवासियों को इसकी जानकारी मिल सके। सेंगोल के बारे में प्रधानमंत्री को सबसे पहले क्लासिकल डांसर डॉ पद्मा सुब्रह्मण्यम ने बताया था। बात 2021 की है। उन्होंने एक तमिल पत्रिका को कोट करते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा था। पत्रिका में छपे लेख में 1947 में ब्रिटेन से भारत को सत्ता हस्तांतरण के दौरान सेंगोल से जुड़े समारोह के बारे में बताया गया था।

शक्ति और न्याय का प्रतीक है सेंगोल

सेंगोल को इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू गैलरी में रखा गया है। अब इसे 28 मई को संसद के नए भवन में रखा जाएगा। डॉ पद्मा ने एक इंटरव्यू में बताया कि सेंगोल के बारे में तमिल पत्रिका तुगलक में लेख छपा था। तमिल संस्कृति में सेंगोल का बहुत महत्व है। सेंगोल शक्ति और न्याय का प्रतीक है।

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असम के सीएम बोले- लेफ्ट के नेता कर रहे सेंगोल का अनादर

दूसरी ओर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आरोप लगाया है कि वामपंथियों ने "सेंगोल" को चलने के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली छड़ी बताकर हिंदू परंपराओं का अनादर किया है। सरमा ने कहा कि सेंगोल भारत को मिली स्वतंत्रता का अभिन्न अंग है। इसमें पं. जवाहरलाल नेहरू की अहम भूमिका थी। इसके बाद भी वामपंथी इसे संग्रहालय के कोने में पड़ी रहने वाली 'चलने की छड़ी' बताया है। इससे पता चलता है कि उनके मन में हिंदू परंपराओं के प्रति कितना अनादर है।

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