सार
कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठवीं बार वोटिंग हुई थी। जबकि 24 साल बाद पहली बार ऐसा होगा जब पार्टी को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है। देशभर में 69 बूथ बनाए गए थे। कांग्रेस पार्टी के अनुसार 90 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई थी।
नई दिल्ली. देश की सबसे पुरानी राजनीति पार्टी कांग्रेस को आज गैर 'गैर गांधी' अध्यक्ष मिल गया। करीब 24 साल बाद ऐसा हुआ है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने शशि थरूर को हरा दिया। खड़गे ने 7897 वोटों से जीत हासिल की और शशि थरूर को करीब 1072 वोट मिले हैं। कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा-कांग्रेस के अध्यक्ष चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे 8 गुना ज्यादा वोटों से जीते हैं।
अध्यक्ष पद के लिए सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) और शशि थरूर AICC प्रमुख पद के लिए आमने-सामने थे। 17 अक्टूबर को कांग्रेस मुख्यालय के साथ-साथ देशभर में मौजूद प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तरों में वोटिंग कराई गई थी। देशभर में 69 बूथ बनाए गए थे। कांग्रेस पार्टी के अनुसार 90 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई थी। इधर, जैसे ही काउंटिंग शुरू हुई शशि थरूर खेमे ने वोटिंग में फर्जीवाड़े का आरोप लग दिया। शशि थरूर के चुनाव एजेंट सलमान सोज ने कहा कि वोटिंग में फर्जीवाड़ा हुआ है। 416 वोट रिजेक्ट कर दिए गए। मजेदार बात यह है कि काउंटिंग के बीच ही राहुल गांधी ने भविष्यवाणी कर दी थी कि पार्टी का नया अध्यक्ष कौन होगा? उनका स्पष्ट इशारा खड़गे की तरफ था। थरूर ने ट्वीट कर खड़गे को बधाई दी और उनका साथ देने वालों को धन्यवाद कहा। हालांकि इससे पहले काउंटिंग के दौरान थरूर के चीफ इलेक्शन कैंपेनर सलमान सोज ने उत्तर प्रदेश, पंजाब और तेलंगाना में पोलिंग के दौरान और मतदान के बाद गड़बड़ियों का आरोप लगाया था। सोज ने कहा था कि इस बारे में पार्टी के चुनाव प्रभारी मधुसूदन मिस्त्री को बताया गया था।ा्ूूूजानिए पूरी डिटेल्स...
थरूर ने विनम्रता से स्वीकारी हार
शशि थरूर के मतगणना एजेंट कार्ति चिदंबरम ने मतगणना प्रक्रिया समाप्त होने के बाद घोषित किया कि खड़गे ने चुनाव जीता है और केरल के सांसद यानी थरूर को 1,072 वोट मिले। गुप्त मतदान में पार्टी प्रमुख को चुनने के लिए निर्वाचक मंडल का गठन करने वाले कुल 9,915 प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रतिनिधियों में से 9,500 से अधिक ने सोमवार को पीसीसी कार्यालयों और एआईसीसी मुख्यालय में अपना मत डाला था। थरूर ने एक बयान में कहा कि अंतिम फैसला खड़गे के पक्ष में आया है। उन्होंने खड़गे को उनकी जीत के लिए बधाई भी दी। थरूर ने कहा, "पार्टी प्रतिनिधियों का निर्णय अंतिम होता है और मैं इसे विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं। ऐसी पार्टी का सदस्य होना सौभाग्य की बात है, जो अपने कार्यकर्ताओं को अपना अध्यक्ष चुनने की अनुमति देती है।"
थरूर ने कहा, "हमारे नए अध्यक्ष पार्टी के सहयोगी और वरिष्ठ हैं जो पर्याप्त नेतृत्व और अनुभव लाते हैं। उनके मार्गदर्शन में, मुझे विश्वास है कि हम सभी सामूहिक रूप से पार्टी को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं।"
थरूर ने कहा कि पार्टी निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी का पार्टी के उनके चौथाई सदी के नेतृत्व और हमारे सबसे महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान एंकर(प्रमुख मागदर्शक) होने के लिए अप्रतिदेय ऋण(irredeemable debt) है। इस चुनाव प्रक्रिया को अधिकृत करने का उनका निर्णय, जिसने हमें भविष्य के लिए नए रास्ते दिए हैं, निस्संदेह हमारी पार्टी के लिए उनकी दूरदर्शिता और दूरदर्शिता के लिए एक उपयुक्त वसीयतनामा है। मुझे आशा है कि वह नई नेतृत्व टीम को आगे की चुनौतियों के बीच आगे बढ़ने की दिशा में मार्गदर्शन और प्रेरित प्रेरित करती रहेंगी। ”
थरूर ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करने के लिए अपनी ओर से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, "नेहरू-गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में एक खास जगह बनाई है और हमेशा रहेगी।"
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मैं मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का निर्वाचित अध्यक्ष घोषित करता हूं: कांग्रेस केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री
भारी बहुमत से मल्लिकार्जुन खड़गे जी जीते हैं, ये लोकतंत्र की जीत है और कांग्रेस पार्टी की जीत है। मैंने मल्लिकार्जुन खड़गे जी को बधाई दी है। मुझे पूरा भरोसा है कि खड़गे जी का व्यापक अनुभव पार्टी को मिलेगा। सचिन पायलट, कांग्रेस,दिल्ली
137 साल के इतिहास में छठीं बार हुई वोटिंग
कांग्रेस के 137 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए छठवीं बार वोटिंग हुई थी। जबकि 24 साल बाद पहली बार ऐसा होगा जब पार्टी को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला है। सोमवार को 9,915 में से 9,500 से ज्यादा निर्वाचक मंडल सदस्यों ने मतदान किया था। अगर इतिहास देखें, तो 1939 में अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में महात्मा गांधी के उम्मीदवार पी सीतारमैया नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हार गए थे।
1950 में में पुरुषोत्तम दास टंडन और आचार्य कृपलानी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े। टंडन सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रिय थे। उन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पसंद रहे कृपलानी को हरा दिया था।
जब 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बुरी तरह पराजय का मुंह देखना पड़ा, तब देव कांत बरूआ ने ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे दे दिया था। इसके बाद हुए चुनाव में ब्रह्मानंद रेड्डी ने अपने निकटम दो उम्मीदवारों सिद्धार्थ शंकर रे और करण सिंह को मात दी थी।
1997 में सीताराम केसरी ने शरद पवार और राजेश पायलट को हराया था। 2000 के चुनाव में पहली बार गांधी फैमिली यानी सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे। लेकिन उन्हें हार मिली थी। सोनिया गांधी सबसे लंबे समय तक इस पद पर रही हैं। इस बीच 2017 और 2019 में राहुल गांधी ने भी अध्यक्ष पद की बागडोर संभाली थी।
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