सार

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट पास कराकर अपनी सरकार बचाने के लिए समय जुटा लिया है। अगले तीन महीने तक सरकार को खतरा नहीं है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस में हुई बगावत के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को बजट पास कराकर सरकार बचाने के लिए समय जुटा लिया है। बजट पारित होने के बाद विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया गया है। अब सुक्खू सरकार को अगले तीन महीने तक खतरा नहीं है।

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में बजट सत्र चल रहा था। बुधवार को सरकार की ओर से बजट पेश किया गया। इसे पास होने से रोकने के लिए भाजपा के विधायकों ने मत विभाजन की मांग की। इस दौरान नारेबाजी और हंगामा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर सहित भाजपा के 15 विधायकों को निलंबित कर दिया, जिससे बजट पास हो सका।

कांग्रेस के छह विधायकों ने की है क्रॉस वोटिंग

राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की, जिसके चलते कांग्रेस के प्रत्याशी की हार हुई और भाजपा उम्मीदवार जीत गए। कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के खिलाफ अयोग्यता प्रस्ताव पेश किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि वह अपने पिता दिवंगत वीरभद्र सिंह को पार्टी द्वारा सम्मान नहीं दिए जाने से निराश हैं। विक्रमादित्य ने कहा, "मेरे पिता 6 बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे, उनके कारण राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी। माल रोड पर उनकी मूर्ति के लिए छोटी सी जगह नहीं मिली। यह सम्मान इस सरकार ने मेरे दिवंगत पिता के प्रति दिखाया है।"

प्रियंका गांधी वाड्रा संभाल रही कमान

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार पर आए संकट को दूर करने के लिए चलाए जा रहे अभियान की कमान प्रियंका गांधी वाड्रा संभाल रही हैं। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है। प्रियंका विक्रमादित्य सिंह सहित कई विधायकों के संपर्क में हैं। वह सुखविंदर सुक्खू और राजीव शुक्ला के साथ संपर्क बनाए हुए हैं। कांग्रेस आलाकमान ने असंतुष्ट विधायकों से बातचीत के लिए भूपिंदर सिंह हुड्डा और डीके शिवकुमार को भेजा है।

भाजपा के हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को हराया

राज्यसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश में बड़ा उलटफेर हुआ। भाजपा के हर्ष महाजन ने कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी को करीबी मुकाबले में हरा दिया। दोनों को 34-34 वोट मिले थे। अंतिम फैसला पर्ची निकालकर किया गया। छह कांग्रेस विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा के पक्ष में वोट दिया। इससे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार अस्थिर हो गई है।

क्या है विधानसभा में बहुमत का अंकगणित?

हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या 68 है। यहां बहुमत का आंकड़ा 35 है। 2022 के चुनाव में कांग्रेस को 40 सीटों पर जीत मिली थी। भाजपा को 25 सीटें मिली थी। कांग्रेस का दावा है कि तीन निर्यलीय विधायकों का समर्थन उसके साथ है। इससे उसका संख्या बल 43 हो जाता है। राज्यसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को 34-34 वोट मिले। तीन निर्दलीय और कांग्रेस के छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।

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अब वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो सरकार से छह कांग्रेसी विधायकों और तीन निर्दलीय विधायकों ने समर्थन वापस ले लिया है। इसलिए कांग्रेस विधायकों की संख्या 34 रह गई है। यह बहुमत से एक कम है। हालांकि स्थिति इससे अधिक जटिल है। कांग्रेस ने व्हिप का पालन नहीं करने और क्रॉस वोटिंग करने वाले अपने छह विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का प्रस्ताव विधानसभा अध्यक्ष को दिया है। अगर इन्हें अयोग्य करार दिया जाता है तो विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या घटकर 62 हो जाएगी। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 32 होगा। कांग्रेस के पास 34 विधायक होंगे, जिससे वह सरकार बचा पाएगी। अगर कांग्रेस के कुछ और विधायक बागी होते हैं तो सरकार को खतरा हो सकता है।

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