सार
सिब्बल ने कहा कि यूपीए-3 2024 में एक वास्तविकता हो सकता है, बशर्ते विपक्षी दलों के उद्देश्य की समानता हो, एक एजेंडा जो इसे दर्शाता है।
नई दिल्ली: देश में होने वाले 2024 के आम चुनाव को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री व जाने माने अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने केंद्र में बदलाव की उम्मीद जताई है। राज्यसभा सांसद ने कहा कि 2024 में यूपीए-3 सरकार का सत्ता में आना बहुत हद तक संभव है लेकिन उन्होंने इसके लिए कई मोर्चे पर विपक्षी दलों को एकजुटता दिखाने की भी सीख दी है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे में साथी दल के लिए सीट छोड़ने में उदारता भी दिखानी चाहिए। हर सीट पर मजबूत कैंडिडेट संयुक्त विपक्ष के किसी भी दल का हो उसे उतारने में उदारता दिखानी होगी न कि अपनी पार्टी के कैंडिडेट के लिए अडिग रहने से जीत हासिल होगी। सिब्बल ने यह भी सलाह दी कि विपक्षी दलों को भारत के लिए नई दृष्टि एजेंडे पर बात करनी चाहिए।
यह लड़ाई उस विचारधारा के खिलाफ जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखना चाहते कायम
23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण मीटिंग के पहले राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि 2024 की लड़ाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नहीं बल्कि उस विचारधारा के खिलाफ है जिसे वह कायम रखना चाहते हैं। सिब्बल ने कहा कि यूपीए-3 2024 में एक वास्तविकता हो सकता है, बशर्ते विपक्षी दलों के उद्देश्य की समानता हो, एक एजेंडा जो इसे दर्शाता है। साथ ही वे इस मानसिकता के साथ आगे बढ़ते हैं कि बहुत कुछ देने और लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन सीटों पर विशेष ध्यान और समय देने की जरूरत है जहां कई विपक्षी दलों के उम्मीदवार मजबूत हैं या टिकट के लिए प्रयासरत हैं। अगर इन सीटों पर सहमति बन गई और मजबूत प्रत्याशी बिना किसी भेदभाव के सामने आ गया तो यूपीए-3 बहुत हद तक संभव है।
कुछ राज्यों में आपस में टकराहट लेकिन वह भी बातचीत से हो सकता हल
अगर विपक्षी दल एक साथ बैठकर बात कर लें तो बहुत संभव है कि संयुक्त उम्मीदवार मैदान में बीजेपी के खिलाफ मजबूती से आ सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ ही राज्यों में थोड़ी बहुत टकराहट है। उदाहरण के लिए कांग्रेस राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे कई राज्यों में बीजेपी की असली विपक्षी है। इन राज्यों में कोई समस्या नहीं है। जिन राज्यों में गैर-कांग्रेसी विपक्षी सरकारें हैं, जैसे कि पश्चिम बंगाल में, हम सभी जानते हैं कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख भागीदार है। पश्चिम बंगाल में बहुत कम निर्वाचन क्षेत्र होंगे जहां किसी भी तरह का संघर्ष होगा। इसी तरह तमिलनाडु में कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने बिना किसी वास्तविक संघर्ष के कई बार एक साथ लड़ाई लड़ी है।
तेलंगाना या आंध्र जैसे राज्यों में समस्या हो सकती
कपिल सिब्बल ने कहा कि तेलंगाना जैसे राज्य में समस्या हो सकती है। आंध्र प्रदेश में जगन की पार्टी (वाईएसआरसीपी), कांग्रेस और तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) के तीनतरफा मुकाबले की वजह से यहां कोई गठबंधन संभव नहीं। गोवा में फिर से कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होगा। यूपी में असली विपक्ष का प्रतिनिधित्व समाजवादी पार्टी करती है। राष्ट्रीय लोकदल और कांग्रेस सबसे अच्छे सहयोगी होंगे। बसपा के साथ गठबंधन नहीं हो सकता। मायावती सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेंगी। बिहार में कोई विशेष समस्या नहीं है। ममता बनर्जी की कथित टिप्पणी पर कि कांग्रेस को अपने राज्य में लोकसभा चुनावों में किसी भी तरह की मदद की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, जब तक कि वह सीपीआई (एम) के साथ गठबंधन करती है पर सिब्बल ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इन बयानों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए। 23 जून को नेता एक साथ बैठेंगे। मुझे लगता है कि इस तरह के मुद्दों को सुलझाने में समय लगेगा। उन्हें हल करना कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
कॉमन मिनिमम प्रोग्राम नहीं भारत के लिए नए एजेंडे पर हो काम
कपिल सिब्बल ने विपक्षी दलों के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बजाय भारत को आगे ले जाने का नया विजन सामने लाने पर पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मेरे देश को जिस तरह से भारत को आगे बढ़ना चाहिए उसमें एक आदर्श बदलाव और भारत के लिए एक नई दृष्टि की आवश्यकता है। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात करने के बजाय हमें भारत के लिए नए विजन की बात करनी चाहिए।
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