सार
15 मार्च को नई दिल्ली में 'Let Kashmir Speak' कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कैंपेन आईटीओ मेट्रो स्टेशन के नजदीक गांधी शांति प्रतिष्ठान में दोपहर 2 बजे आयोजित किया जाएगा।
Let Kashmir Speak. 15 मार्च को नई दिल्ली में 'Let Kashmir Speak' कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह कैंपेन आईटीओ मेट्रो स्टेशन के नजदीक गांधी शांति प्रतिष्ठान में दोपहर 2 बजे आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम का मुख्य एजेंडा राज्य दमन के खिलाफ अभियान होगा। सभी राजनैतिक बंदियों को रिहा करने की मांग की जाएगी और कश्मीर में मीडिया ब्लैकआउट के खिलाफ भी आवाज बुलंद की जाएगी।
यह है कैंपेन का मेन एजेंडा
15 मार्च 2023 को नई दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान में 'Let Kashmir Speak' कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस अभियान में मुख्य तौर पर जम्मू कश्मीर के सभी राजनैतिक बंदियों की रिहाई, राज्य में मीडिया ब्लैकआउट खत्म करने की मांग की जाएगी। केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ इस कैंपेन को राज्य दमन के खिलाफ अभियान नाम दिया गया है।
यह होंगे कैंपेन के प्रमुख वक्ता
लेट कश्मीर स्पीक कैंपेन के मुख्य वक्ता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस हुसैन मसूदी, डूटा की पूर्व प्रेसीडेंट प्रो. नंदिता नारायण, जम्मू कश्मीर में सीपीआईएम लीडर एमवाई त्रिगामी, यूनाइटेड पीस एलायंस के मीर शाहिद सलीम, फिल्म मेकर संजय काक, सीनियर पत्रकार अनिल चमाड़िया होंगे। कैंपेन का मुख्य एजेंडा जम्मू कश्मीर में लागू की जा रही नीतियों का विरोध होगा, जिसे केंद्र सरकार लागू कर रही है। अलग-अलग फील्ड में काम करने वाले कुछ एक्टिविस्ट कार्यक्रम को संबोधित करेंगे जिसमें मीडिया, ज्यूडिशियरी, पार्लियामेंट, फिल्म इंडस्ट्री, हुर्रियत लीडरशिप प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
इन संगठनों की होगी भागीदारी
नई दिल्ली में आयोजित होने वाले लेट कश्मीर स्पीक कार्यक्रम में एआईआरएसओ, आइसा, एआईएसएफ, भीम आर्मी, बिगुल मजदूर, दिशा, कर्नाटक जनशक्ति, मजदूर अधिकार संगठन, मजदूर पत्रिका, मेहनतकश महिला संगठन, मोर्चा पत्रिका, नौरोज, पीपुल्स वाच, रिहाई मंच, समाजवादी जनपरिषद, समाजवादी लोक मंच, सत्य शोधक संघ, एसएफआई, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट, वाईफोरएस जैसे संगठन शामिल होंगे।
5 अगस्त 2019 को बना केंद्र शासित प्रदेश
भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाया गया और 31 अक्टूबर से जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो अलग राज्य अस्तित्व में आ गए। जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है और यह विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है। इसी तरह से लद्दाख भी विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। इसके बाद से जम्मू कश्मीर में देश की संसद में बने कानूनों को लागू करने का रास्ता साफ हो गया।
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