सार
मोदी सरकार ने रद्दी बेचकर 1163 करोड़ रुपए कमाए हैं। इतने पैसे से चंद्रयान-3 जैसे दो मिशन को भेजा जा सकता है। चंद्रयान-3 मिशन की लागत करीब 600 करोड़ रुपए थी।
नई दिल्ली। भारत के सफल चंद्रयान-3 मिशन पर करीब 600 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। यकीन करें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने रद्दी बेचकर इतने पैसे कमा लिए हैं कि चंद्रयान-3 जैसे दो मिशन भेजे जा सकें।
सरकार को पुरानी और बेकार फाइलें, ऑफिस के उपकरण और गाड़ियां बेचकर करीब 1,163 करोड़ रुपए आमदनी हुई है। यह आमदनी 2021 से अब तक रद्दी बेचने से हुई है। इस साल अक्टूबर में एक महीने चले अभियान के दौरान 557 करोड़ रुपए की रद्दी बेची गई थी।
सरकारी कार्यालयों में खाली हुई 355 लाख वर्ग फुट जगह
अक्टूबर 2021 से केंद्र सरकार के कार्यालयों से 96 लाख फिजिकल फाइलों को हटा दिया गया है। रद्दा हटाने से सरकारी कार्यालयों में लगभग 355 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई है। इससे कार्यालयों में गलियारों में सफाई हुई है। खाली जगह का इस्तेमाल मनोरंजन केंद्रों और अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है।
अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि रूस के असफल मून मिशन की लागत 16,000 करोड़ रुपए थी। भारत के चंद्रयान -3 मिशन की लागत लगभग 600 करोड़ रुपए थी। चंद्रमा और अंतरिक्ष मिशनों पर आधारित हॉलीवुड फिल्मों की लागत 600 करोड़ रुपये से अधिक है।
रद्दी बेचने से किस मंत्रालय को हुई सबसे अधिक कमाई?
केंद्र सरकार ने 2023 में रद्दी बेचकर 556 करोड़ रुपए की कमाई की है। सबसे अधिक कमाई रेल मंत्रालय को हुई है। इसने करीब 225 करोड़ रुपए की रद्दी बेची। रद्दी से कमाई करने वाले अन्य प्रमुख मंत्रालयों में रक्षा मंत्रालय (168 करोड़ रुपए), पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (56 करोड़ रुपए और कोयला मंत्रालय (34 करोड़ रुपए) हैं। इस साल रद्दी हटाने से खाली हुई कुल 164 लाख वर्ग फुट जगह में से कोयला मंत्रालय में सबसे अधिक 66 लाख वर्ग फुट और भारी उद्योग मंत्रालय में 21 लाख वर्ग फुट जगह खाली की गई। इसके बाद रक्षा मंत्रालय में 19 लाख वर्ग फुट जगह खाली की गई।
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साल 2023 में करीब 24 लाख फाइलें हटाई गईं। सबसे अधिक विदेश मंत्रालय (3.9 लाख फाइलें) में फाइलें हटाई गईं। इसके बाद सैन्य मामलों के विभाग (3.15 लाख फाइलें) में फाइलें हटाई गईं। स्वच्छता अभियान के प्रभाव के कारण सरकार में कुल मिलाकर ई-फाइल अपनाने की दर लगभग 96% हो गई है।
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