सार

केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने नग्नता से जुड़े एक मामले में महिला के खिलाफ दायर याचिका रद्द कर दी। साथ ही कहा कि नग्नता को सेक्स के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

Kerala High Court. केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि नग्नता को सेक्स के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने महिला के खिलाफ मामले को भी रद्द कर दिया है। महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा पर पॉक्सो सहित किशोर न्याय अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। हाईकोर्ट ने अब यह केस बंद कर दिया है।

क्या था रेहाना फातिमा के खिलाफ मामला

महिला अधिकार कार्यकर्ता रेहाना फातिमा के खिलाफ एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे नाबालिग बच्चों के सामने अर्धनग्न अवस्था में हैं और बच्चों से अपनी बॉडी पर पेंट करवा रही हैं। इस केस से उन्हें बरी करते हुए जस्टिस कौसर एडापगथ ने कहा कि 33 वर्षीय कार्यकर्ता के खिलाफ लगे आरोपों से यह कहीं सिद्ध नहीं होता है कि उन्होंने यौन संतुष्टि के लिए यह किया है। यह भी अनुमान लगाना मुश्किल है कि उन्होंने बच्चों का उपयोग अपनी यौन इच्छा को पूरी करने के लिए किया है। कोर्ट ने कहा कि महिला ने अपने शरीर का इस्तेमाल कैनवास की तरह किया ताकि बच्चे उस पर पेंटिंग कर सकें। किसी भी महिला को अपने शरीर का कैसे उपयोग करना है, इसका निर्णय लेने का स्वायत्त अधिकार है और यह उनके मौलिक और निजता के अधिकार के तहत आता है।

निचली अदालन ने नहीं दी थी महिला को राहत

केरल हाईकोर्ट का फैसला तब आया है जब फातिमा की अपील पर निचली अदालत ने उन्हें मामले से मुक्त करने की याचिका को खारिज कर दिया था। तब फातिमा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपील दायर की। महिला ने दावा किया था उनीक बॉडी पेंटिंग का मतलब समाज के डिफाल्ट दृष्टिकोण के खिलाफ राजनीतिक बयान के तौर पर था। जहां किसी भी महिला के नग्न शरीर को सभी संदर्भों में सिर्फ सेक्स से जोड़ा जाता है। जबकि पुरूष के उपरी शरीर के साथ ऐसा नहीं है। महिला की दलीलों से सहमत होते हुए जस्टिस एडप्पागथ ने कहा कि कला प्रोजेक्ट के तौर पर अपने ही बच्चों द्वारा मां के ऊपरी शरीर पर पेंटिंग को सेक्स से नहीं जोड़ा सकता है क्योंकि इसके पीछे की मंशा यौन संतुष्टि पाना बिल्कुल भी नहीं था।

अभियोजन पक्ष ने बताया था अश्लील

इस मामले में अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि फातिमा ने वीडियो में अपने ऊपरी शरीर को दिखाया है। इसलिए यह अश्लील और अशोभनीय है। विवाद को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि नग्नता और अश्लीलता हमेशा पर्यायवाची नहीं होते हैं।

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