जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का तबादला कर उन्हें गोवा का राज्यपाल बना दिया गया है। वहीं धारा 370 हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए जम्मू और कश्मीर में व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू (जीसी मुर्मू) राज्य के पहले उपराज्यपाल होंगे। वह 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। फिलहाल वह वित्त विभाग में व्यय सचिव के पद पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो मुर्मू उनके प्रमुख सचिव थे। इसके अलावा राधाकृष्ण माथुर को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया। दोनों केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे। सत्यपाल मलिक बिहार के पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं।
सत्यपाल मलिक 1980-86 और 1986-1992 तक उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे। मलिक को 2018 में कुछ महीनों के लिए ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। वह 1974 से 1977 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य भी रहे हैं। वहीं पी.एस. श्रीधरन पिल्लई को मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया है।
बयान से आए थे सुर्खियों में
बीते मंगलवार को दिए गए अपने बयान के कारण मलिक एकाएक सुर्खियों आ गए थे। उन्होंने कहा था कि राज्यपाल का पद कमजोर होता है। उन्होंने कहा, 'राज्यपाल एक कमजोर पद है। उसे प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने या अपने दिल की बात कहने का अधिकार नहीं है। मैं लगभग तीन दिनों तक आशंकित रहता हूं कि मेरे शब्दों ने दिल्ली में किसी को नाराज तो नहीं किया है।'
मलिक ने कहा, 'उन सभी के अपने बच्चों का करियर अच्छा चल रहा है और लेकिन आम कश्मीरी व्यक्ति के बच्चों को बताया गया कि स्वर्ग का रास्ता मारे जाने में है। मैंने खुफिया एजेंसियों से भी इनपुट नहीं लिया। वे भी दिल्ली या हमें सच नहीं बता रहे हैं।'
मलिक ने यह भी कहा, 'मैंने सीधे तौर पर 150 से 200 कश्मीरी युवाओं से बात की और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में उन्हें पहचानने की कोशिश की जो राष्ट्रगान पर खड़ा नहीं होते हैं। मैंने उनसे और 25 से 30 साल के आयु वर्ग वाले उन लोगों से बात की जिनके सपने कुचल दिए गए, वे भ्रमित हैं और गुस्से में हैं। वे न तो हुर्रियत चाहते हैं, न हमें चाहते हैं और न केंद्र सरकार को या स्वायत्तता को क्योंकि उन्हें बताया गया है कि स्वर्ग जाने का रास्ता मरने में है।'