सार
फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के साथ 2016 में हुए सौदे के मुताबिक अब तक 29 राफेल फाइटर जेट भारत आ चुके हैं और बाकी विमान भी 2022 तक मिल जाएंगे। राफेल फाइटर जेट 4.5 जनरेशन के हैं।
नई दिल्ली। भारत ने पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) की डिजाइन फाइनल कर ली है। वायुसेना (Indian Air Force) से लड़ाकू विमान की डिजाइन को हरी झंडी मिलने के बाद प्रोटोटाइप का निर्माण शुरू कर दिया गया है। इस विमान के कई हिस्से पहले ही बनाए जा चुके हैं। शुरू में कुल चार प्रोटोटाइप की योजना बनाई गई है, जिसकी पहली उड़ान 2024 में होने की अवधि तय की गई है। भारत (India) के पास अभी फ़्रांस (France) से लिए जा रहे 4.5 जनरेशन (4.5eneration) के राफेल फाइटर जेट (Rafael fighter Jet) की दो स्क्वाड्रन हैं, लेकिन दो साल बाद पांचवीं पीढ़ी (5th generation) का लड़ाकू विमान भारतीय आसमान में उतरकर दुश्मनों के बीच नई हलचल पैदा करेगा।
स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए विदेशी प्रोजेक्ट रोके
देश ने पहले पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (FGFA) बनाने के लिए रूस (Russia) के साथ काम करने का फैसला किया था। इस योजना के तहत भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के लिए रूसी विमान सुखोई-57 पर आधारित पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान तैयार करना था। इसमें सुखोई-57 में उन्नत सेंसर, नेटवर्किंग और लड़ाकू एवियोनिक्स समेत कुल 43 बदलाव किये जाने थे। 2017 में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने और विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम करने के इरादे से इस योजना पर काम नहीं किया गया।
4.5 जनरेशन के हैं राफेल फाइटर जेट
फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के साथ 2016 में हुए सौदे के मुताबिक अब तक 29 राफेल फाइटर जेट भारत आ चुके हैं और बाकी विमान भी 2022 तक मिल जाएंगे। राफेल फाइटर जेट 4.5 जनरेशन के हैं, जबकि अमेरिका, रूस और फ्रांस ने इससे अगली पीढ़ी के विमान विकसित कर लिए हैं।
एडीए ने बनाई है डिजाइन
भारत ने विदेशी कंपनियों पर निर्भरता कम करने के साथ ही 'आत्मनिर्भर भारत' (Aatmanirbhar Bharat) और 'मेक इन इंडिया' (Make in India) मिशन को बढ़ावा देते हुए पांचवीं पीढ़ी के एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) का निर्माण खुद ही करने का फैसला लिया था। स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस की डिजाइन भी एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने ही बनाई है, इसलिए उसे ही पांचवीं पीढ़ी के फाइटर एयरक्राफ्ट की डिजाइन बनाने की जिम्मेदारी दी गई। एडीए के साथ मिलकर एयरक्राफ्ट रिसर्च एंड डिजाइन सेंटर (ARDC) ने इस लड़ाकू विमान की डिजाइन तैयार की है, जबकि हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) इस डिजाइन के आधार पर विमान का निर्माण करेगा।
हर प्रकार के मौसम में होगा इस्तेमाल
भारत के पहले 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट के लिए ऐसे इंजन की आवश्यकता थी जिसमें 6वीं पीढ़ी के मानव रहित और मानव रहित कार्यक्रमों में उपयोग की भावी विकास क्षमता हो। इसके लिए भारत ने एक ब्रिटिश कंपनी के साथ संयुक्त रूप से एक नया इंजन विकसित करने का करार किया है। योजना के मुताबिक यह सिंगल सीट और ट्विन-इंजन वाला हर मौसम में इस्तेमाल करने लायक बहुउद्देशीय फाइटर एयरक्राफ्ट होगा। वायुसेना ने भी तमाम तरह के परीक्षण करने के बाद लड़ाकू एएमसीए की डिजाइन को हरी झंडी दे दी है। इसके के बाद प्रोटोटाइप का निर्माण शुरू कर दिया गया है।
विमान के कई हिस्से पहले ही बनाए जा चुके हैं। शुरू में कुल चार प्रोटोटाइप की योजना बनाई गई है, जिसकी पहली उड़ान 2024 में होने की अवधि तय की गई है। इसके बाद वायुसेना के कई परीक्षणों से गुजरने के बाद 2029 में उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है।
अब तक किया गया वित्तीय सहयोग
भारत सरकार ने लड़ाकू एएमसीए प्रोजेक्ट का 18 महीनों में रिपोर्ट तैयार करने के लिए अक्टूबर, 2010 में 100 करोड़ जारी किए थे। नवम्बर, 2010 में एडीए ने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के विकास के लिए 9,000 करोड़ की धनराशि मांगी। इस धन का उपयोग टेक्नालॉजी डेमो और सात प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए किया जाएगा। तीन से चार प्रोटोटाइप विमान बनाने में प्रारंभिक विकास लागत 4000-5000 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है। प्रोटोटाइप के लिए कैबिनेट की मंजूरी और फंड का इन्तजार है, जिसे एक दशक में 7000-8000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी।
क्या होगी खासियत
पांचवीं पीढ़ी के स्वदेशी फाइटर जेट आसमान में अपने प्रतिद्वंद्वियों से एडवांस होगा। यह जमीन पर हमला करने, बमबारी के मामले में सबसे तेज साबित होगा। इसके बेहद एडवांस एईएसए राडार, इसकी गति, दुश्मन के हर चाल को मात देने के लिए डेटा डिकोड करने की क्षमता इसको सबसे अलग बनाएगी। यह जमीन और समुद्री बचाव के साथ पिछली पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को मात देने में सक्षम होगा। यह वायु सेना में एचएएल तेजस, सुखोई-30 एमकेआई और राफेल और नौसेना के एचएएल नवल तेजस और मिग-29 की जगह लेगा। स्वदेशी फाइटर जेट को भारतीय वायु सेना में जगुआर, मिराज 2000 और मिग-27 से एडवांस बनाने का इरादा है। यह एचएएल मारुत और एचएएल तेजस के बाद भारतीय मूल का तीसरा सुपरसोनिक जेट होगा।
यह भी पढ़ें:
ये कैसी दोस्ती: Afghanistan के लोगों के लिए खाद्यान्न पहुंचाने का रास्ता नहीं दे रहा Pakistan