SIR वोटर लिस्ट अपडेट की आज आखिरी तारीख है लेकिन यूपी और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में डेडलाइन बढ़ सकती है। चुनाव आयोग आज प्रोग्रेस की समीक्षा करेगा। SIR के तहत अब तक 99.59% फॉर्म डिजिटाइजेशन पूरा हो चुका है। 

नई दिल्ली। भारत में वोटर लिस्ट को अपडेट करने की बड़ी प्रक्रिया यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) आखिर किस दिशा में आगे बढ़ रही है? आज इसका सबसे अहम दिन है। क्योंकि 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख आज है, और इसी बीच चुनाव आयोग की एक खास बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में SIR की डेडलाइन बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है। यह जानकारी चुनाव आयोग के सूत्रों के हवाले से सामने आई है। यानी आने वाले कुछ घंटे यह तय कर सकते हैं कि देश की सबसे बड़ी वोटर लिस्ट-विशेष रूप से यूपी की 15 करोड़ से ज्यादा मतदाता सूची की अपडेटिंग प्रक्रिया कितनी आगे जाएगी।

SIR डेडलाइन पहले भी बढ़ चुकी है, क्यों जरूरी पड़ा था विस्तार?

चुनाव आयोग पहले ही 30 नवंबर को SIR की डेडलाइन 7 दिन बढ़ा चुका है। क्योंकि कुछ राज्यों में फील्ड वेरिफिकेशन, फॉर्म कलेक्शन और डिजिटलीकरण का काम पूरा नहीं हुआ था। अब आयोग ने बताया है कि अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी की जगह 14 फरवरी 2026 को जारी होगी। यानी पूरा कैलेंडर एक हफ्ते आगे बढ़ चुका है। सूत्रों के मुताबिक, यह बिल्कुल संभव है क्योंकि यूपी और बंगाल जैसे बड़े राज्यों में आबादी ज्यादा है और वेरिफिकेशन की प्रक्रिया भी बड़ी है।

वोटर वेरिफिकेशन की नई टाइमलाइन

चुनाव आयोग के अनुसार संशोधित तिथियां इस प्रकार हैं:

  • घर-घर वोटर वेरिफिकेशन: 11 दिसंबर तक
  • ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी: 16 दिसंबर 2025
  • आपत्तियां/दावा: 16 दिसंबर से 15 जनवरी
  • सुनवाई और सत्यापन: 16 दिसंबर से 7 फरवरी
  • फाइनल वोटर लिस्ट जारी: 14 फरवरी 2026

यानी फॉर्म जमा करने से लेकर अंतिम सूची तक, हर चरण में तारीखें आगे खिसक चुकी हैं।

अब तक कितना काम हो चुका है?

चुनाव आयोग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक:

  • फॉर्म वितरण: लगभग 100%।
  • फॉर्म डिजिटलीकरण: 99.59%।
  • यूपी (15.44 करोड़ वोटर्स): फॉर्म डिजिटाइज़-99%।
  • मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, लक्षद्वीप: डिजिटलीकरण-100%।

इसका मतलब है कि काम लगभग पूरा है, लेकिन कुछ राज्यों में वेरिफिकेशन और फॉलो-अप अभी बाकी है। यही कारण है कि SIR की डेडलाइन बढ़ने की संभावना बनती दिख रही है।

SIR क्या होता है और चुनाव आयोग इसे क्यों कर रहा है?

SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन एक बड़ी राष्ट्रीय प्रक्रिया है, जिसमें हर वोटर की जानकारी दोबारा जांची जाती है।

यह इसलिए जरूरी है क्योंकि:

  • कई लोगों का नया घर हो जाता है।
  • कई लोगों की मृत्यु होने के बाद भी नाम हटता नहीं।
  • कुछ लोग दो जगह वोटर बने रहते हैं।
  • कुछ जगह डुप्लीकेट वोटर पाए जाते हैं।
  • कई लोगों का नाम गलत पते या गलत उम्र के साथ दर्ज होता है।

इन सबको सही करने के लिए BLO घर-घर जाकर जानकारी लेते हैं और फॉर्म भरवाते हैं।

SIR किन राज्यों में चल रहा है?

फिलहाल SIR इन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में चल रहा है:

  • उत्तर प्रदेश
  • पश्चिम बंगाल
  • राजस्थान
  • मध्य प्रदेश
  • गोवा
  • गुजरात
  • तमिलनाडु
  • पुडुचेरी
  • छत्तीसगढ़
  • केरल
  • अंडमान-निकोबार
  • लक्षद्वीप

इन 12 राज्यों में कुल मिलाकर 51 करोड़ वोटर्स शामिल हैं। इन्हें कवर करने के लिए 5.33 लाख BLO और 7 लाख से ज्यादा BLA फील्ड में काम कर रहे हैं।

SIR के दौरान वोटर को क्या करना होता है?

यह प्रक्रिया आम नागरिक के लिए बहुत आसान है:

  • BLO/BLA आपके घर फॉर्म लेकर आएंगे
  • आपकी जानकारी-नाम, उम्र, घर नंबर मैच किया जाएगा।
  • अगर आपका नाम दो जगह है, एक जगह से हटाना जरूरी है।
  • यदि नाम दर्ज नहीं है, तो नया फॉर्म भरकर डॉक्यूमेंट जमा करना होगा।
  • अगर सुधार चाहिए, तो उसी फॉर्म में जानकारी अपडेट की जाएगी।
  • यह सारा काम मुफ्त में होता है।

SIR के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट मान्य हैं?

वोटर आईडी अपडेट या नया नाम जोड़ने के लिए ये दस्तावेज मान्य हैं:

  • आधार कार्ड
  • पेंशनर आईडी
  • सरकारी विभाग द्वारा जारी आईडी
  • पासपोर्ट
  • जन्म प्रमाणपत्र
  • 10वीं की मार्कशीट
  • जाति प्रमाणपत्र
  • स्थायी निवास प्रमाणपत्र
  • एनआरसी का रजिस्टर
  • परिवार रजिस्टर
  • मकान/जमीन आवंटन पत्र

नोट: आधार पहचान प्रमाण के रूप में मान्य है, लेकिन नागरिकता प्रमाण के रूप में नहीं।

नाम लिस्ट से हट जाए तो क्या करें?

जब ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 16 दिसंबर को जारी होगी, यदि नाम नहीं दिखे तो-

  • आप एक महीने के भीतर दावा/आपत्ति कर सकते हैं।
  • ERO के फैसले के खिलाफ आप DM और फिर CEO तक अपील कर सकते हैं।

बिहार की SIR लिस्ट बाकी राज्यों में क्यों मान्य?

  • यदि कोई व्यक्ति बिहार SIR के बाद की वोटर लिस्ट का हिस्सा दिखाता है जिसमें
  • उसके माता-पिता का नाम है, तो उसे नागरिकता का अलग से प्रमाण नहीं देना होगा।
  • सिर्फ जन्मतिथि का प्रमाण देना पर्याप्त होगा।
  • यानी बिहार की सूची को एक विश्वसनीय आधार माना गया है।

क्या SIR के पीछे चुनावों की तैयारी है?

जी हां। आने वाले वर्षों में इन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं:

  • 2026: प. बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी
  • 2027: यूपी, गुजरात, गोवा
  • 2028: राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़

इसलिए आयोग चाहता है कि नई वोटर लिस्ट साफ, अपडेटेड और त्रुटि-रहित हो।