सार
Russia Ukraine War : रूस और यूक्रेन के बीच हुए इस विनाशकारी युद्ध की जड़ नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को माना जा रहा है। यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है, लेकिन रूस को लगता है कि यदि ऐसा हुआ तो नाटो देशों के सैनिक ठिकाने उसकी सीमा के पास आकर खड़े हो जाएंगे। यही नहीं, यूक्रेन नाटो में शामिल होता है तो सभी देश उसकी सुरक्षा के लिए तैयार रहेंगे।
इंटरनेशनल डेस्क। गुरुवार तड़के यूक्रेन पर रूस (Russia Attack on ukraine) के हमले के बाद दुनियाभर में इसी की चर्चा है। रूस ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेरकर पांच शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया। खबरों में सामने आया है कि यूक्रेन ने भी रूस के पांच सैनिक जहाजों को मार गिराया है। यूक्रेन के एक एयरबेस पर भी रूस ने धावा बोला है। पूरी तरह से युद्ध में तब्दील हुआ आखिर यह विवाद शुरू कहां से हुआ और क्यों अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध नाकाम रहे, जानें इस रिपोर्ट में।
यूक्रेन के NATO में शामिल होने को माना जा रहा वजह
रूस और यूक्रेन के बीच हुए इस विनाशकारी युद्ध की जड़ नॉर्थ अटलांकि ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को माना जा रहा है। यूक्रेन नाटो में शामिल होना चाहता है, लेकिन रूस को लगता है कि यदि ऐसा हुआ तो नाटो देशों के सैनिक ठिकाने उसकी सीमा के पास आकर खड़े हो जाएंगे। यही नहीं, यूक्रेन नाटो में शामिल होता है तो सभी देश उसकी सुरक्षा के लिए तैयार रहेंगे।
NATO से रूस की नफरत की वजह…
रूस की NATO से नरफरत क्यों है, यह जानना भी जरूरी है। दरअसल 1939 से 1945 के बीच द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ पूर्वी यूरोप से सेनाएं जमाए था। 1948 में उसने बर्लिन को भी घेर लिया। इसके बाद अमेरिका सोवियत संघ की इस नीति को रोकने के लिए आगे आया। उसने 1949 में NATO का गठन किया। इसमें तब 12 देश शामिल किए। यह देश अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, इटली, नीदरलैंड, आइसलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग, नॉर्वे, पुर्तगाल और डेनमार्क थे। आज NATO में 30 देश शामिल हैं।
क्या करता है नाटो
NATO का मकसद साझा सुरक्षा नीति पर काम करना है। अगर कोई बाहरी देश किसी NATO देश पर हमला करता है, तो उसे बाकी सदस्य देशों पर हुआ हमला माना जाएगा और उसकी रक्षा के लिए सभी देश मदद करेंगे।
यह भी पढ़ें Russia Ukraine War: यूक्रेन से लौटे स्टूडेंट ने सुनाई आपबीती, कहा-वहां के हालात डरावने, मां के गले लग खूब रोया
1991 में सोवियत संघ से आजाद हुआ था यूक्रेन
यूक्रेन पहले सोवियत संघ का हिस्सा था। 1 दिसंबर 1991 को यहां जनमत संग्रह हुआ, जिसमें 90 फीसदी लोगों ने यूक्रेन को अलग करने के पक्ष में वोट दिया। अगले दिन रूस के निवर्तमान राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन (Boris Yeltsin) ने यूक्रेन को एक अलग देश के तौर पर मान्यता दे दी। तब क्रीमिया (Crimea) को भी यूक्रेन में शामिल रखा गया था।
यह भी पढ़ें Russia Ukraine War : चुकंदर के सूप से लेकर आलू के चिले तक यूक्रेन में खाई जाती है, ये भारतीय डिश
2008 में नाटो में शामिल होने का प्लान
2008 में यूक्रेन के NATO में शामिल होने की बात चली। अमेरिका ने इसका समर्थन किया। लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर (Vladimir putin) पुतिन इसके विरोध में आ गए। इसके बाद NATO ने जॉर्जिया और यूक्रेन को शामिल करने का ऐलान किया। लेकिन रूस ने जॉर्जिया पर हमला कर दिया और 4 दिन में ही उसके दो इलाकों पर कब्जा कर लिया। हालांकि, 2010 में राष्ट्रपति चुने गए विक्टर यानुकोविच ने यूक्रेन के NATO में शामिल होने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
2019 के चुनाव में यूक्रेन में वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) राष्ट्रपति चुने गए। NATO में शामिल होने की कोशिशें एक बार फिर तेज कर दीं। यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की कोशिशें देखते ही रूस भी प्लानिंग में जुट गया। नवंबर 2021 में सैटेलाइट तस्वीरों में यूक्रेन की सीमा पर रशियन आर्मी नजर आई। तब से दोनों देशों के बीच कोल्ड वार जारी था, जो आखिरकार युद्ध में तब्दील हो गया।
यह भी पढ़ें यूक्रेन ने दुनिया भर से मांगी हथियारों और उपकरणों की मदद, कहा - रूस पर कार्रवाई के लिए आगे आएं