सार
सीएम अशोक गहलोत राजस्थान में एक के बाद एक नई योजनाओं की शुरूआत कर रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस हर हाल में फिर से प्रदेश में सत्त चाहती है। इसलिए तो सरकार ने अपनी सबसे चर्चित स्कीम मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ मिलने के लिए अस्पतालों को सख्त निर्देश जारी कर दिए हैं।
जयपुर. मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े सभी अस्पतालों को लाभार्थियों के लिए यह जानकारी प्रदर्शित करनी होगी की उनके अस्पताल में चिरंजीवी योजना के तहत कौन कौन सी स्पेशलिटी उपलब्ध है और कौन कौन से डॉक्टर उससे संबद्ध है। योजना से जुड़े सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को यह जानकारी देने वाले डिस्प्ले बोर्ड अस्पताल में विभिन्न स्थानों पर लगाने होंगे। राजस्थान स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शुचि त्यागी ने इस संबंध में निर्देश जारी किए है।
जानकारी देने के लिए डिस्प्ले बोर्ड किए अनिवार्य
गोरतलब है की योजना से संबद्ध अस्पताल के प्रवेश द्वार ,लिफ्ट और सीढियों के सामने सहित अस्पताल के सभी प्रमुख स्थानों पर इस तरह की जानकारी देने वाले डिस्प्ले बोर्ड लगवाने अनिवार्य है, लेकिन हाल ही कुछ अस्पतालों के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया की निर्धारित फॉर्मेट में जानकारी प्रदर्शित करने वाले डिसप्ले बोर्ड या तो नहीं लगे है या उनमें पूरी जानकारी नहीं है।
चिरंजीवी मित्र का नाम और मोबाइल नंबर भी होगा डिस्प्ले
स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी शुचि त्यागी ने बुधवार को वीसी के माध्यम से सभी ज़िलों में पदस्थापित डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम कॉर्डिनेटर को दो दिनों में ये सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने निर्देश दिये है। उन्होंने कहा की योजना से जुड़े सभी अधिकारियों के लिए यह रेगुलर मॉनिटरिंग का पार्ट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि योजना से जुड़े लाभार्थियों को किसी भी तरह की परेशानी योजना का लाभ लेने में नहीं आनी चाहिए है योजना से जुड़े सभी अधिकारी और कार्मिक स्वयं को लाभार्थी मानकर योजना का क्रियान्वयन सुनिश्चित कराएं। उन्होंने निर्देश दिए की चिरंजीवी मित्र का नाम और मोबाइल नंबर भी प्रॉपर डिस्प्ले होने चाहिए।
इस स्कीम पर सरकार ने खर्च किए 2500 करोड़
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि जिन अस्पतालों में स्पेशलिटी,पैकेजेज और डॉक्टर्स की जानकारी वाले डिस्प्ले बोर्ड नहीं मिलेंगे उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि इस योजना के राजस्थान में लागू होने के बाद अब तक करीब 5000000 से भी ज्यादा लोगों ने इस योजना का फायदा उठाया है । सरकार ने इस योजना के नाम पर करीब 2500 करोड रुपए खर्च किए हैं।