सार
पर्वतों के संरक्षण के लिए धरने पर बैठे संतों में से बुधवार को एक संत ने खुद पर आग लगा ली थी। जिस मामले में गुरुवार के दिन भरतपुर पुलिस ने संतों के खिलाफ केस दर्ज किया है। केस जिलें के खोह थाना क्षेत्र में हुआ है। सुसाइड़ के प्रयास का केस किया गया है दर्ज।
जयपुर. पर्वतों के संरक्षण की मांग करने वाले संतों ने अपनी जान देने की कोशिश की तब जाकर सरकार ने उनकी मांगे मानी हैं। अभी भी कई दिनों का समय दिया है। लेकिन इस बीच भरतपुर प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। भरतपुर प्रशासन ने दो संतों के खिलाफ पुलिस थाने में केस दर्ज करा दिया हैं। प्रशासन के इस कदम के बाद भरतपुर में फिर से माहौल खराब हो सकता है। जिन दो संतों के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है उनके नाम बाबा विजय दास और बाबा नारायण दास हैं। आईपीसी की धारा 309 में यह केस दर्ज किया गया है।
सुसाइड़ के प्रयास का केस दर्ज दो संतों के खिलाफ, एक की हालत बेहद गंभीर
दरअसल पांच सौ पचास दिन से भी ज्यादा समय से चल रहे धरने को लेकर संतों ने दो दिनों तक उग्र प्रदर्शन किया था। बाबा नारायण दास नाम के संत टावर पर जा चढे़ थे और करीब पैंतीस घंटे तक टावर पर ही रहे थे। इस दौरान दूसरे संत बाबा विजय दास ने खुद को आग लगा ली थी। बुधवार दोपहर उन्होनें खुद को आग के हवाले कर लिया था। उसके बाद बाबा नारायण दास भी टावर से नीचे आ गए थे। बाद में बाबा विजय दास को जयपुर के एसएमएस अस्पताल मंे भर्ती कराया गया था। ।
आत्महत्या के प्रयास का केस दर्ज
प्रशासन ने अब दोनो संतों के खिलाफ भरतपुर के खोह थाने में केस दर्ज कराया है। राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता जितेन्द्र मिश्रा ने बताया कि आईपीसी की धारा 309 का मतलब है कि सुसाइड़ का प्रयास करना। इसमें अधिकतम जुर्माना कोर्ट के उपर तय करता है और ज्यादा से ज्यादा एक साल तक की सजा दी जा सकती है। वैसे अधिकतर पुलिस इस तरह के केस दर्ज नहीं करती, लेकिन जब कभी केस दर्ज करती है तो उसके बाद पूरी कानूनी कार्रवाई से गुजरना होता है। दोनो संतों को भी पूरी कानूनी कार्रवाई से गुजरना होगा और बेगुनाह हैं तो सबूत पेश करने होंगे। उनको गिरफ्तार भी किया जा सकता है।