सार
लग्जरी लाइफ जीने का शौकीन और महंगी कारों के काफिले में चलने वाले राजस्थान के सबसे बड़े गैंगस्टर राजू ठेहट की दर्दनाक तरीके हत्या कर दी गई। राजू की मर्डर की कहानी बीकानेर सेंट्रल जेल में 24 जुलाई 2014 को रची दी गई थी, जिसे 8 साल बाद अंजाम दिया गया है।
जयपुर. आनंदपाल के बाद राजस्थान के सबसे बड़े गैंगस्टर राजू ठेहट को शनिवार को गोली मार दी गई। उसके उसके घर के बाहर ही मौत दे दी गई। घर वाले उसे उठाने की कोशिश करते रहे लेकिन उसके शरीर में इतना पीतल भर दिया गया था कि वह फिर नहीं उठ सका। कई खाली खोल पुलिस को वहां से मिले हैं। इस हत्याकांड को आज अंजाम दिया गया लेकिन इसकी साजिश सालों पहले रच दी गई थी। दरअसल इस हत्याकांड की साजिश राजस्थान के बीकानेर सेंट्रल जेल में 24 जुलाई 2014 को रची गई थी।
जेल से रची गई थी राजू ठेहट की हत्या की साजिश.
उस दोपहर बीकानेर की सेंट्रल जेल में ऐसा कुछ हुआ था जो पचास सालों में राजस्थान की किसी भी जेल में नहीं हुआ। दरअसल 24 जुलाई 2014 को बीकानेर सेंट्रल जेल परिसर में ही नई जेल का निर्माण चल रहा था। निर्माण सामग्री रखी थी और मजदूर काम कर रहे थे। इस दौरान एक मजदूर जेल परिसर में अंदर गया। उसके हाथ मे परात थी जिसमें बजरी भरी हुई थी। इस बजरी के नीचे एक पैकेट में रिवाल्वर और चाकू थे। ये हथियार जेल में सिर्फ कुछ रुपयों के लालच में पहुंचाए गए थे।
बाउंसर साथ लेकर चलता था राजू...लेकिन आज नहीं थे बाउंसर
ये हथियार अंदर पहुंचाए गए तो फिर गैंगवार शुरु हुई। अंदर आंनदपाल सिंह और उसके साथियों के अलावा विपक्षी गैंग के बदमाश भी बंद थे। दोनो पक्षों के बीच में जमकर संघर्ष हुआ। बलवीर बानूडा को गोलियों से भून दिया गया। उधर बलवीर के साथियों ने दूसरे पक्ष के रामपाल और जयप्रकाश को ईंटों से पीट पीट कर खतरनाक मौत दी। बानूडा का शव जब सीकर लाया गया तो तगड़ा बवाल मच गया। लोगों ने पुलिस पर हमला कर दिया, जीप जला दी। इस हत्याकांड में उसी समय राजू गैंग का हाथ होना सामने आया था और उसके बाद से ही राजू की हत्या की प्लानिंग शुरु कर दी गई थी। यही कारण था कि राजू अपने साथ हर समय चार बाउंसर रखता था, लेकिन आज वो राजू के साथ नहीं थे। आज राजू की मौत का दिन मुकर्रर था।
कौन था राजू ठेहट...भारी पड़ गई आनंदपाल से दुश्मनी
गैंगस्टर राजू ठेहट राजस्थान में आनंदपाल के बाद सबसे बड़ा गैंगस्टर था। अपराध के दुनिया में ठेहट ने 1995 के दौर में एंट्री की थी।
हालांकि वह आनंदपाल से पहले अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। राजस्थान में गैंगस्टर्स आनंदपाल और राजू में करीब दो दशक वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। वहीं आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद राजू का वर्चस्व बढ़ गया था। इसके बाद राजू ठेहट का नाम राजस्थान में दबंगाई से लिया जाता था। राजू जितना बड़ा अपराधी था उसके कहीं ज्यादा वो शौकीन था। वो लग्जरी लाइफ जीने का शौकीन था। वह महंगी कार और बाइक पर काफिले के साथ घूमता था। सीकर के लोग उसे बॉस के नाम से बुलाते थे। सोशल मीडिया पर अपनी खुद की बनाई रील शेयर करता था।
वीडियो में देखिए हत्यारे कैेस फायर करने के बाद भागे