सार

राजस्थान के उदयपुर जिले के जाबला पंचायत इलाके में आकाशीय बिजली गिरने से तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि 4 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। घायलों में दो की स्थिति गंभीर बनी हुई है। उनका इलाज चल रहा है। 

उदयपुर. राजस्थान में करीब 2 सप्ताह के लंबे इंतजार के बाद मानसून एक्टिव होने से लोग खुश होने लगे हैं। वहीं, इस मानसून में अब कुदरत ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। राजस्थान में रविवार देर शाम आसमान से गिरी बिजली 3 लोगों के लिए मौत बनकर आई। आसमान से गिरी बिजली इतनी तेज थी कि उसने एक पेड़ के दो टुकड़े कर दिए। घटना में 3 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि 4 लोग बुरी तरह से झुलस चुके हैं। इन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया है। इनमें भी दो मरीजों की हालत बेहद गंभीर बताई जा रही है। 

खुले मैदान में गिरी बिजली
दरअसल, मामला राजस्थान के उदयपुर जिले के जाबला पंचायत इलाके का है। यहां रविवार को एक खुले मैदान में सात चरवाहे अपने मवेशियों को चराने के लिए लेकर गए हुए थे। इसी दौरान अचानक बारिश शुरू हो गई। बारिश से बचने के लिए सभी पेड़ के  नीचे चले गए। लेकिन इनमें से 3 लोगों को यह पता नहीं था कि यह पेड़ ही उनकी मौत का कारण बनेगा। कुछ मिनट बाद ही अचानक आसमान में एक तेज धमाका हुआ और बिजली उसी पेड़ पर आ कर गिरी। बिजली गिरने से पेड़ के तो दो टुकड़े हो ही गए। इसके साथ ही सातों चरवाहे भी इसकी चपेट में आ गए। जिसमें 3 की मौके पर ही मौत हो गई।  जबकि अन्य 4 घायल हो गए।

स्थानीय लोगों ने दी सूचना
पास से गुजर रहे लोगों ने इसकी सूचना नजदीकी पुलिस और एंबुलेंस को दी। जहां से उन्हें हॉस्पिटल लाया गया। हॉस्पिटल में डॉक्टर ने दो युवतियों मनीषा, आशा और एक युवक मनीष को मृत घोषित कर दिया। वहीं, चार अन्य घायलों को गंभीर हालत में इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कर लिया है। डॉक्टर्स के मुताबिक इनमें भी 2 लोग बुरी तरह से झुलसे हुए हैं। जिनके स्वास्थ्य के बारे में भी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है।

अब तक 100 से ज्यादा की मौत
गौरतलब है कि इससे पहले रविवार सुबह भी झालावाड़ में बिजली गिरने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। वही सरकारी आंकड़ों की मानें तो इस बार मानसून में बारिश में डूबने और आकाशीय बिजली गिरने से करीब 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पानी में डूबने वाले लोगों की संख्या करीब 60 के लगभग तो वही आकाशीय बिजली गिरने से हुई मौतों का आंकड़ा करीब 40 के आसपास है। हालांकि मानसून के पहले दौर को देखने के बाद सरकार ने नदियों बांधों पर सुरक्षा बढ़ा दी हो। लेकिन आकाशीय बिजली से हुई मौतों पर नियंत्रण पाना असंभव है। क्योंकि बारिश के समय आकाशीय बिजली से बचने के लिए व्यक्ति को खुद को ही अपना बचाव करना होता है।

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