सार
Padmini Ekadashi 2023: 29 जुलाई, शनिवार को सावन अधिमास की एकादशी का व्रत किया जाएगा। इसे पद्ममिनी और कमला एकादशी कहा जाता है। ये एकादशी 3 साल में एक बार आती है, इसलिए इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों मे बताया गया है।
उज्जैन. हिंदू धर्म में एकादशी को बहुत ही पवित्र तिथि माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष व्रत और पूजा की जाती है। इस बार सावन अधिमास की एकादशी 29 जुलाई, शनिवार को है। इसे कमला और पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2023) कहा जाता है। अधिक मास 3 साल में एक बार आता है, इसलिए इस एकादशी को बहुत ही खास माना गया है। इस बार पद्मिनी एकादशी पर की शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस एकादशी की पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…
ये शुभ बनेंगे कमला एकादशी पर (Padmini Ekadashi 2023 Shubh Yog)
29 जुलाई, शनिवार को ब्रह्म नाम का शुभ योग सुबह 09:34 तक रहेगा। इसके बाद इंद्र नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इस समय सिंह राशि में बुध और शुक्र की युति रहेगी, जिससे लक्ष्मी नारायण नाम का शुभ योग बनेगा। लक्ष्मी-नारायण योग में कमला एकादशी का संयोग बहुत ही शुभ फल देने वाला रहेगा।
पद्मिनी एकादशी के शुभ मुहूर्त (Padmini Ekadashi 2023 Shubh Muhurat)
- सुबह 07:38 से 09:16 तक
- दोपहर 12:07 से 12:59 तक
- दोपहर 12:33 से 02:11 तक
- दोपहर 03:50 से 05:28 तक
ये है पारणा का समय (Padmini Ekadashi 2023 Parna Shubh Muhurat)
पद्मिनी एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी 30 जुलाई, रविवार को किया जाएगा। इसके लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:00 से 08:37 के बीच रहेगा। पारणा से पहले ब्राह्मणों को भोजन करवाया करवाएं और दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट करें। अगर ऐसा करना संभव न हो तो भोजन की कच्ची सामग्री जैसे आटा, दाल, चावल, घी आदि चीजों का दान करें।
इस विधि से करें पद्मिनी एकादशी का व्रत (Padmini Ekadashi Puja-Vrat Vidhi)
- पद्मिनी एकादशी व्रत के नियमों का पालन एक दिन पहले यानी 28 जुलाई, शुक्रवार से करना पड़ता है। इस दिन रात में सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जमीन पर सोएं।
- अगले दिन यानी 29 जुलाई, शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद ऊपर बताए गए किसी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी करें।
- शुभ मुहूर्त शुरू होने पर भगवान विष्णु की तस्वीर या चित्र एक साफ स्थान पर रखे बाजोट यानी पटिए पर स्थापित करें। सबसे पहले शुद्ध घी की दीपक जलाएं। भगवान को फूलों की माला पहनाएं।
- इसके बाद कुमकुम से तिलक करें और एक-एक करके गंध, रोली, अबीर, गुलाल, पान, फूल, चावल आदि चीजें चढ़ाएं। अपनी इच्छा अनुसार भगवान को भोग लगाएं, उसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें।
- सबसे अंत में आरती करें और प्रसाद भक्तों में बांट दें। दिन भर बिना कुछ खाए-पिएं रहें अगर ऐसा संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। सात कलशों में अनाज भरकर ब्राह्मण को दान करें।
- कमला एकादशी व्रत वाली रात को सोने के बजाय भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप या भजन- कीर्तन करना चाहिए। अगले दिन विधि-विधान से व्रत का पारणा करें। इस व्रत से जन्म-जन्म के पाप उतर जाते हैं।
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