सार

Chandrayaan 3 Launch: 14 जुलाई 2023 भारत के इतिहास के लिए बहुत खास है। इस दिन इसरो अपने तीसरे चंद्रमा मिशन 'चंद्रयान -3' को लॉन्च करने वाला है। इसके लिए पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। मिशन के पूरा होते ही भारत चंद्रमा तक पहुंचने वाला चौथा देश बन जाएगा।

 

उज्जैन. 14 जुलाई, शुक्रवार को दोपहर 2:35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 'चंद्रयान -3' को लॉन्च किया जाएगा। (chandrayaan-3 news) ये इसरो का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट है। चंद्रयान तीन के साथ भेजा जा रहा रोवर चंद्रमा की सतह पर घूमेगा और खोज करेगा। ऐसा होते ही भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश बन जाएगा। (chandrayaan 3 launch) ये भारत के लिए एक गर्व का पल होगा। वैदिक ज्योतिष और धर्म ग्रंथों में चंद्रमा से जुड़ी कई रोचक बातों का वर्णन मिलता है। 'चंद्रयान -3' के लांचिंग के मौके पर उज्जैन (Ujjain) के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा (Astrologer Pt. Manish Sharma) से जानिए चंद्रमा से जुड़ी ऐसी ही रोचक बातें…

क्यों होती है चंद्रदेव की पूजा? (Why is Chandradev worshipped?)
धर्म ग्रंथों में चंद्रमा को चंद्रदेव कहा गया है। ये स्वर्ग के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। इसलिए इनकी पूजा करने का विधान है। चंद्रदेव चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं इसलिए चतुर्थी व्रत के दौरान इनकी पूजा भी विशेष रूप से की जाती है। करवा चौथ जैसा खास व्रत इनकी पूजा के बिना पूरा नहीं होता। और भी कई मौकों पर चंद्रदेव की पूजा का विधान धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

किसके पुत्र हैं चंद्रदेव? (Whose son is Chandradev)?
धर्म ग्रंथों में चंद्रमा की उत्पत्ति से जुड़ी कई कथाएं बताई गई हैं। इनमें से सबसे प्रमुख कथा ऋषि अत्रि से जुड़ी है। उसके अनुसार, जब ब्रह्माजी सृष्टि की रचना कर रहे थे तब उन्होंने अपने मानस पुत्र ऋषि अत्रि को उत्पन्न किया। अत्रि ऋषि का विवाह कर्दम मुनि की कन्या अनसूया से हुआ था। अत्रि और अनसूया के तीन पुत्र हुए, ये थे महर्षि दुर्वासास, गुरु दत्तात्रेय और सोम यानी चंद्रमा।

चंद्रदेव की कितनी पत्नियां हैं? (How many wives does Chandradev have?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, चंद्रदेव का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से हुआ है। इनमेंसे रोहिणी नाम की पत्नी चंद्रदेव को विशेष रूप से प्रिय है। ज्योतिष शास्त्र में इन 27 पत्नियों के आधार पर ही 27 नक्षत्र बताए गए हैं। चंद्रमा जब इन 27 नक्षत्रों का चक्कर लगा लेता है, तब एक मास पूरा होता है। ये समय लगभग 29 दिन का होता है। इसे चंद्र मास भी कहते हैं।

किसने दिया था चंद्रदेव को श्राप? (Who cursed Chandradev?)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से चंद्रमा का विवाह हुए, लेकिन चंद्रदेव इनमें से रोहिणी नाम की पत्नी को ही अधिक प्रेम करते थे। अन्य पत्नियों के प्रति उनके मन में प्रेम नही था। जब ये बात दक्ष प्रजापति को पता चली तो उन्होंने क्रोध में आकर चंद्रदेव को क्षय रोग का श्राप दे दिया। जिससे चंद्रदेव की चमक फीकी पड़ गई और वो काले हो गए।

किसने दिलाई चंद्रमा को श्राप से मुक्ति? (Who freed the moon from its curse?)
जब चंद्रमा के तेज कम हो गया तो उन्होंने भगवान शिव की घोर तपस्या की। इसके लिए उन्होंने एक शिवलिंग भी बनाया। चंद्रदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें श्राप मुक्त कर दिया और अपने मस्तक पर स्थान भी दिया। चंद्रदेव ने जो शिवलिंग स्थापित किया था, वो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ है। सोम चंद्रमा का ही एक नाम है।

क्यों होता है चंद्रग्रहण? (Why does lunar eclipse happen?)
ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले अमृत के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध हुआ। तब भगवान विष्णु मोहिनी अवतार लेकर असुरों के साथ छल करते हुए देवताओं को अमृत पिलाने लगे। ये बात स्वरभानु नाम के दैत्य ने जान ली और वह देवताओं का रूप लेकर सूर्य व चंद्रदेव के बीच जाकर बैठ गया। जैसे ही उसने अमृत पीया, सूर्य व चंद्रदेव ने उसे पहचान लिया। भगवान विष्णु ने उसका मस्तक काट दिया। स्वरभानु का सिर राहु और धड़ केतु कहलाया। मान्यता है कि समय-समय पर राहु चंद्रमा को निगल लेता है, इसी से चंद्रग्रहण होता है।

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा (moon in astrology)
ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा नवग्रहों में से एक है। ये कर्क राशि का स्वामी है। ये ग्रह माता का कारक है और हमारे मन को नियंत्रित करता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को युवा, सुंदर, गौर वर्ण वाला बताया गया है। इनके हाथों में एक मुगदर और एक कमल रहता है। इनका वाहन रथ है, जिसे सफेद घोड़े खींचते हैं। चंद्रमा से संबंधित शुभ फल पाने के लिए ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जाप किया जाता है।


ये भी पढ़ें-

Sawan Shivratri 2023: क्या है महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में अंतर, क्या जानते हैं आप?


इस शिव मंदिर में मारे गए थे हजारों बेगुनाह, इसके रहस्य आज भी ‘अनसुलझे’


एक श्रापित ग्रंथः इसे पढ़ने वाला मर गया या पागल हो गया !


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।