सार
Hanuman Jayanti 2023: हनुमानजी को लेकर कई मान्यताएं हैं, उसमें एक ये भी है कि हनुमानजी अमर हैं। हनुमानजी के अलावा और 7 भी अमर हैं। इन्हें अष्टचिंरजीवि कहा जाता है। इनसे संबंधित एक श्लोक भी धर्म ग्रंथों में मिलता है।
उज्जैन. इस बार हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2023) का पर्व 6 अप्रैल, गुरुवार को है। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। हनुमानजी को कलयुग का जीवंत देवता कहा जाता है, ऐसा इसलिए कहते हैं कि क्योंकि हनुमानजी अमर हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार हनुमानजी के अलावा 7 अन्य पौराणिक पात्र भी अमर हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, अष्टचिरंजीवियों से संबंधित एक श्लोक भी धर्म ग्रंथों में बताया गया है। आगे जानिए इन अष्टचिरंजीवियों के बारे में…
श्लोक
अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण:।
कृप: परशुरामश्च सप्तएतै चिरजीविन:॥
सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।
जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।
अर्थ- अश्वत्थामा, बलि, वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय मुनि चिरंजीवी हैं। इनके नाम का जाप करने से व्यक्ति निरोगी रहता है और लंबी आयु प्राप्त करता है।
1. हनुमानजी
त्रेतायुग में जब श्रीराम ने अवतार लिया, उसी समय भगवान शिव ने भी अंजनी और केसरी के पुत्र के रूप में हनुमान बनकर जन्म लिया। हनुमानजी ने कदम-कदम पर श्रीराम की सहायता की और भक्त की मर्यादा का पालन किया। जब हनुमानजी देवी सीता की खोज में लंका गए तो वहां प्रसन्न होकर देवी सीता ने ही इन्हें अमर होने का वरदान दिया था।
2. विभीषण
धर्म ग्रंथों के अनुसार, राक्षसों के राजा रावण के छोटे भाई विभीषण भी अमर हैं। इन्होंने अपने भाई रावण को त्यागकर श्रीराम की सहायता की। इन्हीं के परामर्श से श्रीराम रावण का वध करने में सफल रहे। रावण की मृत्यु के बाद श्रीराम ने इन्हें ही लंका का राजा बनाया। महाभारत में भी एक स्थान पर इनका वर्णन मिलता है।
3. राजा बलि
भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद के बारे में तो सभी जानते हैं। इन्हीं के वंश में पैदा हुए थे महा पराक्रमी राजा बलि। इन्होंने सबकुछ जानते हुए भी भगवान विष्णु के अवतार वामनदेव को अपना सबकुछ दान कर किया था। प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया।
4. परशुराम
भगवान विष्णु के अवतारों में से एक है परशुराम। ये अति क्रोधी स्वभाव के थे। इन्होंने क्रोधित होकर 7 बार धरती को क्षत्रिय विहिन कर दिया था। रामायण के अलावा महाभारत में भी कई स्थानों पर इनका वर्णन मिलता है। इन्होंने ही भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य और कर्ण को शस्त्र विद्या सिखाई थी।
5. ऋषि मार्कंडेय
शिवजी को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इस महामृत्युंजय मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय ने ही की थी। धर्म ग्रंथों के अनुसार, मार्कंडेय अल्पायु थे। तब उन्होंने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की। शिवजी ने प्रसन्न होकर उन्हें अमर होने का वरदान दिया।
6. महर्षि वेदव्यास
महाभारत सहित अन्य कई ग्रंथों की रचना महर्षि वेदव्यास ने ही की थी। इनके जन्मदिवस को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इनका पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन है। इन्हें साक्षात भगवान विष्णु का अवतार भी माना जाता है। महाभारत युद्ध समाप्त होने के बाद इन्होंने एक रात के लिए सभी मृत योद्धाओं का जीवित कर दिया था।
7. कृपाचार्य
ये भी महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं। कृपाचार्य कुरुवंश के कुलगुरु हैं। इन्होंने भी महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। कौरव सेना में बचे 2 योद्धाओं में से एक ये भी थे। ये परम तपस्वी हैं। इन्होंने कौरवों और पांडवों को नीति शास्त्र की शिक्षा प्रदान की थी। इन्हें अमर कहा जाता है।
8. अश्वत्थामा
महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक है अश्वत्थामा। ये गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। महाभारत युद्ध में इन्होंने कौरवों की ओर से युद्ध किया था। अश्वत्थामा ने युद्ध की मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए अभिमन्यु के पुत्र को गर्भ में ही मारने का प्रयास किया। क्रोधित होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें पृथ्वी पर भटकते रहने का शाप दिया था।
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