सार

Ahoi Ashtami 2023 Kab Hai: आज 5 नवंबर, रविवार को देश भर में अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जा जा रहा है। महिलाएं ये व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए करती हैं। आगे जानिए कैसे करें ये व्रत, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त सहित हर जरूरी बात…

 

Kab Kare Ahoi Ashtami 2023: आज 5 नवंबर, रविवार को पूरे देश में अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। महिलाएं ये व्रत अपनी संतान की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए करती हैं। जिन महिलाओं की कोई संतान नहीं होती, वे भी संतान की कामना से ये व्रत करती हैं। वैसे तो व्रत पूरे देश में किया जाता है, लेकिन उत्तर भारत में इसकी सबसे ज्यादा मान्यता है। आगे जानिए अहोई अष्टमी व्रत और इससे जुड़ी खास बातें…

अहोई अष्टमी 2023 पर कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे? (Ahoi Ashtami 2023 Shubh Yog)
5 नवंबर, रविवार को पुष्य नक्षत्र सुबह 10:29 तक रहेगा। रविवार को पुष्य नक्षत्र होने से ये ये रवि पुष्य कहलाएगा, ये बहुत ही शुभ योग कहलाता है। इस दिन श्रीवत्स, सर्वार्थसिद्धि, शुभ और शुक्ल नाम के अन्य शुभ योग भी बनेंगे। इतने सारे शुभ योग के चलते अहोई अष्टमी व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा।

अहोई अष्टमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2023 Shubh Muhurat)
5 नवंबर, रविवार को अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05:33 से 06:52 तक रहेगा यानी लगभग 01 घण्टा 18 मिनट। इस व्रत में महिलाएं तारे देखकर व्रत पूर्ण करती हैं। तारों को देखने का समय शाम 05:58 से रहेगा।

इस विधि से करें अहोई अष्टमी व्रत-पूजा (Ahoi Ashtami 2023 Puja-Vrat Vidhi)
- अहोई अष्टमी की सुबह यानी 5 नवंबर, रविवार को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प इस प्रकार लें- मैं अहोई माता का व्रत कर रही हूं, अहोई माता मेरी संतान को लंबी उम्र, स्वस्थ एवं सुखी रखें।
- इसके बाद शुभ मुहूर्त में गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं। साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र भी बनाएं। दिन भर कुछ भी खाए-पीएं नहीं। अगर ऐसा करना संभव न हो तो फल या दूध ले सकते हैं।
- शाम को इस चित्र की सामने बैठकर अहोई माता की पूजा पूरे विधि-विधान से करें। सबसे पहले अहोई माता को सुहाग की सामग्री व अन्य चीजें चढ़ाएं। सेह की पूजा रोली, चावल, दूध व चावल से करें।
- पूजा में रखा पानी से भरा कलश बाद में तुलसी पर चढ़ा दें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा जरूर सुनें और परिवार की बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद ही भोजन करें।

ये है अहोई माता व्रत की कथा (Ahoi Ashtami Ki Katha)
- प्राचीन समय में किसी नगर में चंपा नाम की एक महिला रहती थी। उसकी कोई संतान नहीं थी। संतान की इच्छा से उसने अहोई अष्टमी का व्रत किया। चंपा के पास में ही चमेली नाम की एक अन्य महिला भी रहती थी। उसने भी चंपा को देखकर अहोई अष्टमी का व्रत किया।
- चंपा ने तो श्रद्धा से व्रत किया और चमेली ने अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए। प्रसन्न होकर देवी ने दोनों के दर्शन दिए और वरदान मांगने कहा-चमेली ने माता से एक पुत्र मांग लिया, जबकि चंपा ने कहा- आप बिना मांगे ही मेरी इच्छा पूरी कीजिए। माता ने उसके मन की बात समझ ली।
- माता ने कहा- यहां से उत्तर दिशा की ओर बहुत सारे बच्चे खेल रहे हैं। तुम दोनों वहां जाकर अफनी पसंद का बच्चा ले आओ। चंपा व चमेली दोनों वहां गई और बच्चों को पकड़ने लगीं, जिससे बच्चे रोने लगे। बच्चों को रोते देख चंपा ने उन्हें छोड़ दिया जबकि चमेली ने एक बच्चे को पकड़े रखा।
- तभी वहां अहोई माता प्रकट हुईं और चंपा से कहा कि ‘तुम ही माता बनने योग्य हो। ऐसा बोलकर उसकी प्रशंसा करते हुए उसे पुत्रवती होने का वरदान दिया पर चमेली को मां बनने के लिए अयोग्य सिद्धि कर दिया। इस तरह अहोई माता की कृपा से चंपा की इच्छा पूरी हुई।


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