सार

Kalpavaas 2025: हर साल माघ मास के दौरान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कल्पवास मेला लगता है, इसे माघ मेला भी कहते हैं। इस दौरान साधु-संत व अन्य लोग संगम तट के किनारे ही एक महीने तक रहते हैं और कठोर नियमों का पालन करते हैं।

 

Kalpavaas Niyam: उत्तर प्रदेश का प्रयागराज देश के प्रमुख धार्मिक शहरों में से एक है। हर 12 साल में यहां कुंभ मेला लगता है तो हर साल माघ मास में कल्पवास भी होता है। कल्पवास के दौरान लाखों साधु-संत और भक्तजन यहां संगम के किनारे एक महीने तक कुटिया बनाकर रहते हैं और कठोर नियमों का पालन करते हैं। इन नियमों का पालन करना हर किसी के बस की बात नहीं होती। आगे जानिए कब से शुरू होगा कल्पवास और इसके नियम…

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कब से शुरू होगा कल्पवास और क्यों है खास इस बार?

इस बार कल्पवास 13 जनवरी, सोमवार से शुरू होगा, जो 12 फरवरी, बुधवार तक रहेगा। खास बात ये है कि इस बार कल्पवास के साथ महाकुंभ भी लगने जा रहा है। ऐसा संयोग 12 साल में सिर्फ एक बनता है। इसलिए इस बार का कल्पवास बहुत ही खास माना जा रहा है। लाखों साधु-संत कल्पवास और कुंभ स्नान के लिए यहां आ चुके हैं।

ये हैं कल्पवास के कठोर नियम

1. कल्पवास करने वाले व्यक्ति को एक महीने तक कुटिया बनाकर संगम तट पर ही रहना पड़ता है।
2. जिसने कल्पवास का नियम लिया है वो व्यक्ति संगम तट छोड़कर कहीं आ-जा नहीं सकता।
3. कल्पवासी सिर्फ 1 समय भोजन करते हैं और वह भी पूरी तरह से सात्विक होता है।
4. कल्पवास के दौरान भक्तों को रोज तीन बार गंगा में स्नान करना होता है।
5. कल्पवास करने वाले अपना भोजन स्वयं बनाते हैं और पूरे समय भगवान के भजन-कीर्तन करते हैं।
6. इस दौरान जमीन पर सोना और ब्रह्मचर्य का पालन करना भी जरूरी है।
7. कल्पवास के दौरान व्यसनों जैसे- धूम्रपान, तंबाकू आदि पर भी पूरी तरह से पाबंदी होती है।
8. कल्पवास के दौरान झूठ बोलना, चुगली करना, किसी के बारे में गलत सोचने पर भी पाबंदी होती है।


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