सार
Mahakal Ujjain Live Darshan: देश भर में भगवान के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग हैं, इनमें तीसरा है महाकालेश्वर, जो मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर की कुछ परंपराएं बहुत ही खास हैं। ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग भी है।
Mahakaleshwar Jyotirlinga Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन में है महाकाल मंदिर। भगवान शिव को समर्पित बहुत ही खास है क्योंकि यहां स्थित है 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा महाकालेश्वर। दूर-दूर से लाखों लोग यहां रोज दर्शन करने आते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां शिव-पार्वती विवाह उत्सव मनाया जाता है। इस उत्सव में भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और सेहरा चढ़ाया जाता है। भगवान शिव का ये रूप साल में सिर्फ एक बार ही देखने को मिलता है।
क्यों खास है ये ज्योतिर्लिंग?
12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र महाकाल ही दक्षिणमुखी है। इसलिए इसका तांत्रिक महत्व भी है। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं। यमराज को काल भी कहते हैं और काल के स्वामी होने के कारण ही इनका नाम महाकाल पड़ा है। प्रतिदिन लाखों लोग यहां दर्शन करने आते हैं। इस ज्योतिर्लिंग का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
सिर्फ यहीं होती है भस्मारती
महाकाल मंदिर में रोज सुबह भस्मारती करने की परंपरा है। ये परंपरा 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र यही होती है, इस आरती को देखने के लिए अलग से परमिशन लेनी पड़ती है। भस्मआरती में गोबर से बनी राख से महाकाल की आरती करते हैं। कहते हैं कि प्राचीन समय में ये भस्मारती मुर्दे की राख से की जाती थी। श्रावण मास में भगवान महाकाल की सवारी भी निकाली जाती है। इस दौरान उज्जैन का माहौल पूरी तरह से शिवमय हो जाता है।
उज्जैन के राजा हैं महाकाल
उज्जैन के लोग भगवान महाकाल को अपना राजा मानते हैं। हर साल सावन-भादौ मास में भगवान महाकाल की प्रतिमा को पालकी में बैठाकर नगर भ्रमण करवाया जाता है, ऐसा कहते हैं कि इस दौरान राजा महाकाल अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकलते हैं। सवारी के दौरान लाखों लोग राजा महाकाल की एक झलक देखने के लिए घंटों इतंजार करते हैं और दर्शन कर खुद को धन्य समझते हैं।
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