भारत के 5 रहस्यमयी मंदिरः एक जगह के बहते पानी का है पीरियड से कनेक्शन
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ये हैं भारत के 5 रहस्यमयी मंदिर
Miraculous temples of India: हमारे देश में कईं रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर हैं। कुछ मंदिर तो ऐसे भी हैं जहां के चमत्कार को देखकर लोगों को मुंह खुला का खुला रह जाता है। विज्ञान भी आज तक इन मंदिरों के रहस्य को सुलझा नहीं पाया है। इन मंदिरों में रोज भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो इन रहस्यों को देखकर आश्चर्यचकित रह जाती है। आगे जानिए ऐसे ही 5 मंदिरों के बारे में…
ये है शनिदेव का सबसे प्रसिद्ध मंदिर
हमारे देश में भगवान शनिदेव के अनेक मंदिर है, इन सभी में सबसे प्रसिद्ध है शनि शनि शिंगणापुर मंदिर। इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि यहां शनिदेव की कोई प्रतिमा नहीं है बल्कि एक 5 फीट ऊंची और लगभग 2 फीट चौड़ी पत्थर की शिला है। इसे ही शनिदेव के रूप में पूजा जाती है।
खुले आसमान के नीचे है ये प्रतिमा
इस मंदिर से जुड़ी एक और खास बात ये भी है कि यहां शनिदेव की प्रतिमा के ऊपर कोई छत नहीं। ये प्रतिमा खुले आसमान के नीचे एक चबूतरे पर स्थित है। कहते हैं कि जब भी शनि प्रतिमा के ऊपर छत डालने की कोशिश हुई तो इसमें सफलता नहीं मिल पाई। तभी से भक्त इसी रूप में शनिदेव की पूजा कर रहे हैं।
यहां नहीं लगते ताले
शनिदेव का ये मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर के शिंगणापुर गांव में स्थित है। कहते हैं कि शनिदेव स्वयं इस गांव की रखवाली करते हैं। इस गांव के घरों में लोग ताले नहीं लगाते और पैसे आदि कीमती चीज भी तिजोरी में नहीं रखते। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति यहां चोरी करता है शनिदेव स्वयं उसे दंड देते हैं।
रहस्यमयी है असम का ये देवी मंदिर
असम के गुवाहाटी में स्थित है कामाख्या मंदिर। ये मंदिर देवी के शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी सती की योनि गिरी थी। इस मंदिर का तांत्रिक महत्व भी है। खास मौकों पर यहां हजारों तांत्रिकों का जमावड़ा लगता है। इसे सिद्ध स्थान माना जाता है।
रोज दी जाती है बलि
कामाख्या मंदिर में रोज हजारों पशु-पक्षियों की बलि दी जाती है। ऐसा भी कहा जाता है कि किसी समय यहां नर बलि यानी इंसानों की बलि दी जाती थी, ये प्रथा बाद में बंद कर दी गई। वर्तमान में यहां भेड़, बकरा, मछली, कबूत की बलि देने की परंपरा है।
साल में 3 दिन बंद रहता है ये मंदिर
कामाख्या मंदिर वैसे तो पूरे साल भक्तों के लिए खुला रहता है लेकिन आषाढ़ मास में 3 दिनों के लिए ये मंदिर बंद कर दिया जाता है। मान्यता है कि इन 3 दिनों में देवी मां मासिक धर्म से हो जाती है। इस दौरान मंदिर में स्थित योनी कुंड से लाल रंग का पानी निकलता है। इन 3 दिनों में पुजारी भी मंदिर में प्रवेश नहीं करते। इन 3 दिनों में यहां मेला लगता है, जिसे अंबुवाची मेला कहते हैं।
इसे कहते हैं चूहों वाला मंदिर
राजस्थान के बीकानेर से 30 किलो मीटर है करणी माता का मंदिर। इस मंदिर को चूहों वाला मंदिर भी कहते हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में 1-2 नहीं बल्कि 20 हजार से ज्यादा चूहे रहते हैं। यही कारण है कि इसे चूहों वाला मंदिर कहा जाता है। लोग इन्हें देवी के भक्त मानते हैं।
खाते हैं चूहों का झूठा प्रसाद
इस मंदिर में लोग जो भी प्रसाद चढ़ाते हैं, पहले चूहें उस प्रसाद को खाते हैं और बाद में भक्त भी यही प्रसाद खाते हैं। लोग इस प्रसाद और भी खास और चमत्कारी मानते हैं। खास बात ये भी है कि आज तक चूहों द्वारा खाए गए प्रसाद को खाने से किसी को कोई बीमारी नहीं हुई।
सफेद चूहा दिखना चमत्कार
यहां हजारों काले चूहें है, लेकिन सफेद चूहें बहुत ही कम संख्या में है। जो कि बहुत कम देखने में आते हैं। ऐसा भी कहते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को सफेद चूहे दिख जाए तो समझना चाहिए कि उस पर देवी की कृपा बनी हुई है और उसके जीवन की परेशानियां खत्म होने वाली हैं।
यहां देवी करती हैं अग्नि स्नान
राजस्थान के उदयपुर जिले में बंबोरा नाम का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे ईडाणा माता मंदिर कहते हैं। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां कभी भी अचानक आग लग जाती है। ऐसी मान्यता है कि यहां देवी स्वयं की इच्छा से अग्नि स्नान करती हैं, इसलिए देवी के इस चमत्कार के आगे सभी सिर झुकाते हैं।
कोई नहीं जानता कैसे लगती है आग
आज तक कोई भी इस बात का पता नहीं लगा पाया कि इस मंदिर में अचानक कैसे आग भड़क उठती हैं। ये आग कब लगेगी, कितने दिनों तक लगी रहेगी और कब बुझेगी। इसके बारे में कोई नहीं जानता। नवरात्रि व अन्य खास मौकों पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
देवी की प्रतिमा को कोई नुकसान नहीं
जब इस मंदिर में आग लगती है तो देवी मां के सारे कपड़े जल जाते हैं। लेकिन मूर्ति बिल्कुल सुरक्षित रहती है। ये आग इतनी भयंकर होती है कि जिसकी लपटें 20 से 25 फीट तक उठती हैं। लेकिन फिर भी देवी की प्रतिमा का सुरक्षित रहना एक रहस्य है।
साल में 7 दिन के लिए खुलता है ये मंदिर
कर्नाटक के हासन जिले में हसनंबा माता का प्रसिद्ध मंदिर है। ये मंदिर साल में सिर्फ 7 दिन के लिए दीवाली के मौके पर खुलता है। साल के बाकी दिन ये मंदिर बंद ही रहता है। इन 7 दिनों में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। भारत में ये अपने तरह का अनोखा मंदिर है।
जलता रहता है दीपक
जब इस मंदिर को बंद किया जाता है तो यहां एक दीपक में तेल भरकर जलाया जाता है। एक साल बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं तो वो दीपक जलता हुआ ही मिलता है जबकि उस दीपक सीमित मात्रा में तेल डाला जाता है। आज तक इस रहस्य को कोई समझ नहीं पाया है।
ताजे रहते हैं फूल
इस मंदिर से जुड़ी एक खास बात ये भी है कि मंदिर के पट बंद करते समय जो फूल यहां देवी पर चढ़ाए जाते हैं, साल भर बाद दरवाजे खोलने पर वो फूल एकदम ताजे मिलते हैं। यानी एक साल बाद भी वो फूल मुरझाते नहीं है और उसकी ताजगी बनी रहती है।
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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।