सार
Nagpanchami 2024: इस बार नागपंचमी 9 अगस्त, शुक्रवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा की जाती है। इस दिन कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए कुछ आसान उपाय किए जाएं तो बहुत ही जल्दी शुभ फल मिलते हैं।
Nagpanchami 2024 KaalSarp Upay: ज्योतिष शास्त्र में कईं तरह के दोष बताए गए हैं, कालसर्प दोष भी इनमें से एक है। जब ये दोष किसी की कुंडली में होता है तो उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस दोष के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं। ये उपाय नागपंचमी पर करने बहुत शुभ माना जाता है। इस बार नागपंचमी 9 अगस्त, शुक्रवार को है। इस दिन सर्प सूक्त का पाठ करना चाहिए। सिर्फ 5 मिनिट के इस उपाय से आपके जीवन की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। ये है सर्प सूक्त…
सर्प सूक्त (Sarp Sukt)
ब्रह्मलोके च ये सर्पा शेषनाग पुरोगमाः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीता: मम सर्वदा ॥
विष्णु लोके च ये सर्पाः वासुकिः प्रमुखादयः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
काद्रवेयाश्च ये सर्पाः मातृभक्ति परायणाः। नमोऽस्तु तेभ्य: सर्पेभ्यः सुप्रीता: मम सर्वदा ॥
इन्द्रलोके च ये सर्पाः तक्षको प्रमुखादयः। नमोऽस्तु तेभ्य: सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
सत्यलोके च ये सर्पाः वासुकिना च रक्षिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्य सुप्रीता: मम सर्वदा ॥
मलये चैव ये सर्पाः कर्कोट: प्रमुखादयः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
समुद्रतीरे ये सर्पाः ये सर्पाः जलवासिनः| नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
रसातले च ये सर्पा अनन्तादि महाबलाः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ||
सर्पसत्रे तु ये सर्पा आस्तिकेन च रक्षिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
धर्मलोके च ये सर्पा:वैतरण्यां समाश्रिताः। नमोऽस्तु तेभ्यःसर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
पर्वताणां च ये सर्पा दरीसन्धिषु संस्थिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्ग ये च समाश्रिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
पृथिव्यां चैव ये सर्पा ये च साकेतवासिनः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताःमम सर्वदा ॥
सर्वग्रामेपु ये सर्पाः वसन्ति सर्वे स्वच्छन्दाः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पाः प्रचरन्ति च। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
अर्थात्- ब्रह्म लोक के उन सर्पों, जिनमें शेषनाग प्रमुख हैं; विष्णु लोक के उन सर्पो, जिनमें वासुकि नाग प्रमुख हैं: कद्रू के वे नाग पुत्र जो मातृ भक्त हैं; इन्द्र लोक के उन सांपों, जिनमें तक्षक प्रमुख हैं; सत्य लोक के उन सर्पों, जिनकी वासुकि नाग द्वारा रक्षा की जाती है; मलयाचल के उन सांपों, जिनमें कर्कोटक प्रमुख हैं; समुद्र के तट पर तथा जल में रहने वालों, रसातल के उन बलवान सर्पों, जिनमें अनन्त प्रमुख हैं; आस्तीक के द्वारा जनमेजय के नागयज्ञ से बचाये गये नाग-सर्पो; वैतरणी नदी में रहने वाले धर्म लोक के सर्पो: पर्वतों की दरारों में रहने वाले सर्पो; खाण्डव वन की आग में जल कर मरने से स्वर्ग लोक में गये सर्पों: पृथ्वी पर और साकेत में रहने वाले सर्पों तथा गाँवों और जंगलों में स्वतंत्रता पूर्वक रहने और विचरण करने वाले सभी सर्पों को नमस्कार है। ये सभी नाग-सर्प सदा हम पर प्रसन्न रहें।
इस विधि से करें पाठ?
- 9 अगस्त, शुक्रवार की सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी शिव मंदिर में जाएं या अपने घर पर ही शिवजी की तस्वीर स्थापित करें।
- शुद्ध घी की दीपक जलाएं। कुशा के आसन पर बैठकर ऊपर बताए गए सर्प सूक्त का पाठ पूरी श्रद्धा और विश्वास से करें।
- सर्प सूक्त का पाठ आराम से सही उच्चारण के साथ करें। इससे कालसर्प दोष के प्रभाव में कमी आ सकती है।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।