चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान होने के साथ एक अच्छे शिक्षक भी थे। उन्होंने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला से शिक्षा ग्रहण की और वहीं पर विद्यार्थियों को शिक्षा भी दी। चाणक्य ने कुछ ऐसे कार्यों के बारे में बताया है जिन्हें करते हुए कभी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। अन्यथा आपको अपयश और नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अश्विन महीने की अमावस्या (Sarva Pitru Moksha Amavasya 2021) पर कई तरह के धार्मिक कार्य यानी श्राद्ध, तर्पण, पूजा-पाठ और दान करने की परंपरा है। ग्रंथों के मुताबिक इस तिथि पर कालसर्प और पितृ दोष निवारण के लिए पूजा की जाती है।
केसर (Saffron) का उपयोग खाने की चीजों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है जैसे मिठाई, खीर, लस्सी, दूध आदि। कुछ धार्मिक क्रियाओं में भी केसर का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। ज्योतिष (Astrology) के अनुसार केसर गुरु ग्रह का कारक है।
इस बार 5 अक्टूबर, मंगलवार को पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) की चतुर्दशी तिथि है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि को बहुत ही विशेष माना गया है। वैसे तो श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है, लेकिन श्राद्ध पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सामान्य रूप से मृत हुए परिजनों का श्राद्ध करने की मनाही है।
इस बार 6 अक्टूबर, बुधवार को पितृ पक्ष का अंतिम दिन है। इसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2021) कहते हैं। इस अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करने का महत्व काफी अधिक है।
प्रत्येक महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 4 अक्टूबर, सोमवार को है। पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) में सोमवार और प्रदोष तिथि (Pradosh Vrat 2021) का योग होने से ये दिन और भी शुभ बन गया है।
शास्त्रों में कहा गया है कि पहला सुख निरोगी काया। यानी अगर आपका शरीर स्वस्थ है तो ये आपकी सबसे बड़ी पूंजी है। लेकिन खान-पान में बदलाव और भाग-दौड़ भरी लाइफ में शरीर का ध्यान रखना मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से कई बीमारियां शरीर को जकड़ लेती हैं।
लगभग सभी शुभ कार्यों में चावल का उपयोग जरूर किया जाता है। चावल को शुक्र का अन्न कहा जाता है और शुक्र ही सभी भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक ग्रह है। इसलिए लक्ष्मी पूजा में भी चावल का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है।
पितरों की आत्मा की शांति के लिए हमारे देश में कई प्रमुख स्थानों पर श्राद्ध, तर्पण आदि किया जाता है। श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) में तो ऐसे स्थानों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पितरों के तर्पण के लिए प्रसिद्ध स्थान है उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का प्रयाग (Prayag)।
आचार्य चाणक्य (Chanakya) द्वारा लिखी गई नीतिशास्त्र (Chanakya Niti) की बातें आज भी लोगों के सही रास्ता दिखाती हैं। आचार्य चाणक्य की नीतियों का सार समझकर यदि जीवन में उतार लिया जाए तो सुखी, संतुष्ट और सफल जीवन व्यतीत किया जा सकता है।