आज (10 जुलाई, शनिवार) आषाढ़ मास की अमावस्या है। शनिवार को अमावस्या होने से शनिश्चरी अमावस्या का योग इस दिन बन रहा है। इस शुभ योग में शनिदेव की पूजा करना और उनके निमित्त दान करना बहुत ही विशेष फल प्रदान करता है।
इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि की शुरूआत 11 जुलाई, रविवार से होगी, जो 18 जुलाई तक रहेगी। गुप्त नवरात्रि के पहले ही दिन रवि पुष्य और सर्वार्थसिद्धि नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं।
पहले के समय में घर के बीचों-बीच का स्थान खाली छोड़ा जाता था, जिसे घर का आंगन कहा जाता था लेकिन आज के समय में घरों का आकार बदल गया है। ज्यादातर घरों में आंगन नहीं होता है।
आषाढ़ मास की अमावस्या तिथि 9 जुलाई, शुक्रवार को सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाएगी, जो 10 जुलाई, शनिवार की सुबह तकरीबन 7 बजे तक रहेगी। इस दिन 5.45 पर ही सूर्योदय हो जाएगा, इसलिए उस दिन शनैश्चरी अमावस्या भी कहलाएगी।
आज (9 जुलाई, शुक्रवार) हलहारिणी अमावस्या है। इस अमावस्या पर स्नान, दान, श्राद्ध व व्रत का विशेष महत्व हमारे धर्म ग्रंथों में लिखा है।
आषाढ़ मास की अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन कृषि उपकरणों सहित मुख्य रूप से हल की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 9 व 10 जुलाई को आ रही है।
आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में धन और व्यापार से संबंधित कईं बातें बताई हैं। उसके अनुसार व्यापार या पैसे से जुड़ी बातें हर किसी के सामने नहीं करनी चाहिए इससे आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दुकान, ऑफिस या किसी व्यवसायिक स्थान का निर्माण करने के दौरान वास्तु शास्त्र का खास ध्यान रखना चाहिए। ऐसा करने से कारोबार में खूब बरकत होती है।
इस बार 2 दिन (9 और 10 जुलाई) आषाढ़ अमावस्या का योग बन रहा है। ग्रंथों के मुताबिक इस तिथि का खास महत्व है। आषाढ़ अमावस्या पर गंगा स्नान, दान और पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध का विशेष महत्व होता है।
कई बार वास्तु दोषों के कारण या छोटी-छोटी गलतियों के कारण परिवार के किसी न किसी सदस्य का स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ रहता है। जानकारी के अभाव में हम इसके बारे में समझ नहीं पाते और कई बार स्थिति बहुत ही बिगड़ जाती है।