सार

Ram Mandir Ayodhya News: अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका है। 22 जनवरी 2024 को मंदिर में राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मंदिर में स्थापित करने के लिए अलग-अलग कलाकारों के दल ने राम लला की 3 प्रतिमाएं बनाई हैं।

 

Ram Mandir Ayodhya Latest new: अयोध्या में बने नवनिर्मित मंदिर में 22 जनवरी 2024 को राम लला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इसके लिए आमजन के लिए ये मंदिर खोल जाएगा। मंदिर में स्थापित होने वाली प्रतिमा को बनाने में कईं बातों का विशेष ध्यान रखा गया है। यहां स्थापित होने वाली राम लला की प्रतिमा बाल स्वरूप में होगी, जिसमें वो सभी 16 गुण दिखाई देंगे, जिनके कारण श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। इन गुणों के बारे में वाल्मीकी रामायण में विस्तार पूर्वक बताया गया है। आगे जानिए भगवान श्रीराम के उन 16 गुणों के बारे में…

1. गुणवान- श्रीराम में महाज्ञानी थे, उन्होंने महर्षि वशिष्ठ के आश्रम में रहते हुए सभी विद्याओं का ज्ञान प्राप्त किया था।

2. किसी की निंदा न करने वाला- श्रीराम हमेशा सकारात्मक सोच रखते थे, किसी की निंदा करना या उसमें बुराई खोजना श्रीराम के स्वभाव में नहीं था।

3. धर्मज्ञ- श्रीराम धर्म-कर्म के मामले में सदैव आगे रहते थे। वे धर्म को हर छोटी-छोटी बातों के भी जानकार थे।

4. कृतज्ञ- श्रीराम में विनम्रता का गुण भी था, जो भी उनकी मदद करता था, वे उसका धन्यवाद देने नहीं भूलते थे।

5. सत्य- श्रीराम ने अपने जीवन में सदैव सच बोला। ये गुण भी उनमें स्वभाविक रूप से था।

6. दृढ़प्रतिज्ञ- श्रीराम जो भी प्रतिज्ञा लेते थे, फिर उसे पूरा किए बिना नहीं रहते थे।

7. सदाचारी- श्रीराम सभी से एक समान व्यवहार करते थे, चाहे वो कोई भी हो।

8. सभी प्राणियों का रक्षक- श्रीराम की शरण में जो भी जाता, वे उसकी सहायता अवश्य करते थे, चाहे वो कोई राक्षस ही क्यों न हो।

9. विद्वान- श्रीराम ने चारों वेदों का भलीभांति अध्ययन किया था, इसलिए वे परम विद्वान भी थे।

10. सामर्थ्यशाली- सृष्टि में कोई ऐसा काम नहीं था, जिसे श्रीराम करना चाहे और न कर सके। यही बात उनकी सामर्थ्य शक्ति की दर्शाती है।

11. प्रियदर्शन- श्रीराम का स्वरूप दिखने में अत्यंत सुंदर था, जो भी उन्हें देखता था उनका भक्त बन जाता था।

12. मन पर अधिकार रखने वाला- श्रीराम का स्वरूप ही ऐसा था कि वे सभी के मन पर अधिकार रखते थे। उनकी कही बात कोई टाल नहीं सकता था।

13. क्रोध जीतने वाला- श्रीराम का स्वभाव काफी शांत था, वे छोटी-छोटी बातों पर क्रोध नहीं करते थे।

14. कांतिमान- श्रीराम के चेहरे पर एक चमक थी, जो उन्हें औरों से श्रेष्ठ बनाती थी।

15. वीर्यवान- श्रीराम स्वस्थ शरीर वाले, संयमी और हष्ट-पुष्ट थे।

16. युद्ध में जिसके क्रोधित होने पर देवता भी डरें- श्रीराम जब क्रोधित होते थे तो देवता भी उनके आगे नहीं टिक पाते थे।


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