सार

Sawan 2023: इस बार सावन मास 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू हो चुका है। इस बार सावन में शिवजी के साथ भगवन विष्णु की पूजा का भी शुभ संयोग बन रहा है, ऐसा सावन का अधिक मास होने के कारण होगा। ऐसा दुर्लभ संयोग 19 साल पहले साल 2004 में आया था।

 

उज्जैन. सावन मास (Sawan 2023) 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू हो चुका है, जो 31 अगस्त तक रहेगा। सावन का अधिक मास होने से इस बार ये महीना 59 दिनों का होगा। शिव भक्तों के लिए ये समय और भी खास रहेगा क्योंकि उन्हें अपने ईष्टदेव की पूजा के लिए अतिरिक्त दिन मिल सकेंगे। जय दुर्गा ज्योतिष सेवा संस्थान एवं अनुष्ठान केंद्र मंदसौर के ज्योतिषाचार्य पंडित यशवंत जोशी के अनुसार, सावन के अधिक मास का संयोग 19 साल बाद बना है। इसके पहले ऐसा संयोग साल 2004 में बना था।

सावन के सोमवार व अन्य व्रत त्योहार (Sawan 2023 Somvar List)
ज्योतिषाचार्य पं. जोशी के अनुसार, इस बार सावन सोमवार की संख्या 8 रहेगी। सावन का पहला सोमवार 10 जुलाई को रहेगा। इसके बाद 17 जुलाई, 24जुलाई, 31जुलाई, 7अगस्त,14अगस्त, 21अगस्त और 28 अगस्त को भी सावन सोमवार रहेंगे। इसी प्रकार सावन के प्रत्येक मंगलवार कौ मंगला गौरी महिलाओं और कुंवारी कन्याओं द्वारा किया जाएगा। नागपंचमी 21अगस्त को तथा रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाया जायेगा।

सावन में करें ऐसे करें शिवजी को प्रसन्न
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव त्रिदल वाले एक बिल्व पत्र से ही प्रसन्न होकर समस्त पापों का नाश कर देते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी कर देते हैं। जैसे श्रीगणेश को दूर्वा, देवी को अर्चन उसी प्रकार भगवान शिव को अभिषेक अति प्रिय हैं। श्रावण मास में श्रद्धा, प्रेम और निष्काम भाव से शुद्ध जल से अभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

सावन में भगवान विष्णु की करें प्रसन्न
इस सावन मास में अधिक मास का संयोग भी बन रहा है, जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। पुरुषोत्तम भगवान विष्णु का ही एक नाम है। इस मास स्वामी भी भगवान विष्णु ही हैं। पुरुषोत्तम मास में भगवान विष्णु की पूजा शुभ फल देने वाली मानी गई है। इस महीने में में द्वादशाक्षर मन्त्र जाप, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ, श्रीमद्भगवत महापुराण सुनना बहुत ही पुण्यदाई रहता हैं। पुरुषोत्तम मास 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक रहेगा।

महादेव ने स्वयं बताई है सावन मास की महिमा
स्कंदपुराण में भगवान शिव ने स्वयं श्रावण मास का महत्व बताते हुए कहा है… द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: ।
श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:।
यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।

अर्थ- मासों में श्रावण मास मुझे अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास का माहात्म्य सुनने योग्य है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है तथा इसके माहात्म्य श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, अतः उसे श्रावण मास कहा जाता है। श्रावन मास में जो भी शिवलिंग का रुद्राभिषेक, लघु रूद्र, अति रूद्र या पुरुष सूक्त का पाठ करता है, वह सभी प्रकार के पापों से मुक्त होकर शिव धाम को प्राप्त करता है।


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