Muzaffarpur Land Scam: बिहार के मुजफ्फरपुर से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, 90 वर्षीय राजनारायण ठाकुर को जीवित होते हुए भी रजिस्ट्री रिकॉर्ड में 'मृत' घोषित कर दिया गया और उनके ही बेटे ने धोखाधड़ी करके उनके नाम की जमीन बेच दी।
Bihar News: बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां कांटी थाना क्षेत्र के वीरपुर गांव निवासी 90 वर्षीय राजनारायण ठाकुर सोमवार को डीएम कार्यालय पहुंचे और अपनी जमीन बेचने की सनसनीखेज कहानी सुनाकर प्रशासन को आगाह किया। उनके सबसे छोटे बेटे ने उन्हें 'दिवंगत' घोषित करके रजिस्ट्री करा ली और उनके जीवित रहते ही लाखों रुपये की संपत्ति बेच दी।
रजिसट्री रिकॉर्ड में मृत घोषित
राजनारायण ने थाने पहुंचकर मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। साथ ही उन्होंने बताया कि मोतीपुर रजिस्ट्री कार्यालय में 29 जुलाई को खरीदार के दस्तावेज़ों में उनके नाम के आगे रजिस्ट्री रिकॉर्ड में 'दिवंगत राजनारायण ठाकुर' दर्ज था। इस वजह से इस संपत्ति का सौदा उनकी सहमति या हस्ताक्षर के बिना ही पूरा कर लिया गया। बुज़ुर्ग ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी ज़मीन का कोई सौदा नहीं किया है और यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है।
राजनारायण के पांच बेटे, कोई नहीं करता देखभाल
इस मामले में राजनारायण के पांच बेटे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी उनके साथ नहीं रहता और न ही उनकी देखभाल करता है। उनका आरोप है कि बेटा चुपके से जमीन बेचकर चला जाता है और जब तक रिश्तेदारों को खबर मिलती है, तब तक सौदा तय हो जाता है। आपको बता दें कि बुजुर्ग ने डीएम सुब्रत कुमार सेन से गुहार लगाई है। उन्होंने मांग की है कि रजिस्ट्री तुरंत रद्द कर उनकी जमीन वापस की जाए और दोषी बेटे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि अगर सौ रुपये के स्टांप पर सहमति से उनके सभी बेटों के बीच जमीन का बंटवारा संभव है, तो वह इस प्रक्रिया के लिए तैयार हैं।
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बेटे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
वहीं, जिलाधिकारी ने मोतीपुर सीओ और फतेहपुर थानाध्यक्ष को मामले की जांच के आदेश दिए हैं और रिपोर्ट भी मांगी है। उन्होंने बुजुर्ग को सुझाव दिया कि कानूनी सहमति से संपत्ति का बंटवारा संभव है, लेकिन धोखाधड़ी के मामले में संबंधित बेटे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाएगी। कृषि प्रधान वीरपुर और आसपास के ग्रामीणों में इस घटना से गुस्से और सहानुभूति दोनों की लहर है। ग्रामीणों ने प्रशासन से सुझाव मांगा है कि ऐसे मामलों में बुजुर्गों और महिला हस्ताक्षरकर्ताओं की पहचान सत्यापन प्रक्रिया को सख्ती से किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गलतफहमियां न हों। आने वाले समय में, स्थानीय प्रशासन स्तर पर भूमि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और बुजुर्गों के दस्तावेज़ सत्यापन की व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर चर्चाएं तेज़ हो सकती हैं।
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