सार

हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) में आम आदमी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस से गठबंधन की असफलता और स्थानीय स्तर पर कमजोर संगठन जैसे कई कारण रहे जिनकी वजह से आप को जीत मिलती नहीं दिख रही है।

नई दिल्ली। हरियाणा के 90 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) के नतीजे आज आ रहे हैं। राज्य में एक बार फिर भाजपा सरकार बनती दिख रही है। तमाम उम्मीदों के बाद भी कांग्रेस को निराशा हाथ लगी है। दूसरी ओर अरविंद केजरीवाल की पार्टी को उम्मीद थी कि वह हरियाणा में भी पंजाब वाला जादू चला पाएगी और सरकार बनाएगी, लेकिन जैसे नतीजे आ रहे हैं आप (आम आदमी पार्टी) का सपना पूरा नहीं हो पाया है। एक भी सीट पर उसके प्रत्याशी आगे नहीं हैं।

हरियाणा चुनाव में आप की हार की 10 बड़ी वजहें

कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं: सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के चलते आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो सका। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। सरकार विरोधी वोट बंट गए।

आप ने मांगी थी 5 सीटें: आप ने शुरू में 10 सीटें मांगी थीं। कांग्रेस तैयार नहीं हुई तो अपनी मांग घटाकर पांच कर दी। कांग्रेस ने तीन सीटें देने की पेशकश की। आप इसपर राजी नहीं हुई।

स्थानीय कांग्रेसी नेताओं को पसंद नहीं आप का साथ: हरियाणा कांग्रेस के नेताओं खासकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आप के साथ सहयोग करने का विरोध किया था। उन्हें डर था कि इससे कांग्रेस को नुकसान होगा।

पिछला खराब प्रदर्शन: हरियाणा में आप चुनावी रिकॉर्ड निराशाजनक रहा है। पिछले चुनावों में उसे कोई जीत नहीं मिली थी। वोट शेयर भी बहुत कम था।

भाजपा के पक्ष में हवा: हरियाणा में भाजपा के पक्ष में हवा थी। कांग्रेस ने उसे ऐसी सीटें पेश की जो भाजपा का गढ़ थीं। आप के लिए उन पर चुनाव लड़ना कठिन था।

जमीनी समर्थन का अभाव: हरियाणा में आप की जमीनी मौजूदगी कम है। भाजपा और कांग्रेस की तुलना में कमजोर संगठन के चलते उसे सफलता नहीं मिली। स्थानीय नेतृत्व का अभाव भी था।

बंट गए भाजपा विरोधी वोट: हरियाणा में कई पार्टियों के अलग-अलग चुनाव लड़े। इससे भाजपा सरकार से नाराज लोगों के वोट बंट गए, आप के जीत की संभावनाएं और कम हो गईं।

हरियाणा के लोगों को आकर्षित नहीं कर पाई आप: आप के प्रमुख नेताओं से जुड़े विवादों के कारण पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। पार्टी हरियाणा के लोगों का दिल नहीं जीत पाई।

गलत रणनीतिक आकलन: आप ने हरियाणा में अपनी ताकत का गलत आकलन किया। इसके चलते ऐसी रणनीतियां बनाईं जो काम नहीं आईं।

आप के नेताओं को नहीं मिला समय: आप के नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए पूरा समय नहीं मिला। अंतिम समय में कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं हो सका। इससे आप को उम्मीदवारों को चुनने और रणनीति बनाने में मुश्किल हुई।

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