नई दिल्ली : मूड ऑफ द नेशन माने जा रहे उपचुनाव में वोटों की काउंटिंग थोड़ी देर में शुरू हो गई है। 14 राज्यों में तीन लोकसभा और 30 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों के रुझान आने शुरू हो गए। ज्यादातर सीटों पर बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) के बीच सीधी भिड़ंत देखने को मिल रही है, वहीं कुछ सीटों पर क्षेत्रीय दलों का ज्यादा प्रभाव है। यह उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह एक या दो राज्यों में नहीं, बल्कि देश के 14 अलग-अलग हिस्सों और अलग-अलग सियासी मिजाज रखने वाले राज्यों में हुए हैं। इनके बाद अगले साल के शुरुआती महीनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव भी होने हैं। इन राज्यों में यूपी (uttar pradesh), पंजाब (punjab), उत्तराखंड (Uttarakhand), गोवा (Goa) और मणिपुर (Manipur) शामिल हैं। उपचुनावों के नतीजों से न सिर्फ हवा का रुख का ही पता नहीं चलेगा, बल्कि नए सियासी समीकरण भी बनते दिखेंगे।
कहां-कहां काउंटिंग
जिन सीटों पर लोकसभा उपचुनाव के लिए वोटों की गिनती हो रही है, उनमें दादरा और नगर हवेली (Dadra And Nagar Haveli), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) की मंडी और मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की खंडवा सीट शामिल है। जिन 30 विधानसभा सीटों पर काउंटिंग हो रही है, उनमें असम (Assam) की पांच, पश्चिम बंगाल (West Bengal) की चार, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मेघालय (Meghalaya) में तीन-तीन, बिहार (Bihar), कर्नाटक (Karnataka) और राजस्थान (Rajasthan) में दो-दो और आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh), हरियाणा (Haryana), महाराष्ट्र (Maharashtra), मिजोरम (Mizoram), नागालैंड (Nagaland) और तेलंगाना (Telangana) में एक-एक सीट है।
क्यों खाली हुई लोकसभा सीट
तीनों लोकसभा क्षेत्रों में मौजूदा सदस्यों के निधन के बाद इन सीटों पर उपचुनाव कराया जा रहा है। मार्च में रामस्वरूप शर्मा (बीजेपी) के निधन के बाद मंडी सीट खाली हुई थी। खंडवा संसदीय क्षेत्र के लिए उपचुनाव बीजेपी सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन के कारण कराना पड़ रहा है, जबकि दादरा और नगर हवेली से निर्दलीय लोकसभा सदस्य मोहन देलकर फरवरी में मुंबई के एक होटल में मृत पाए गए थे।
इन मुख्यमंत्रियों के लिए खास है उपचुनाव
जिन राज्यों की सीटों पर उपचुनाव हुए हैं उनमें से चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लिए यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा है, इनमें जो शामिल हैं वो..
नीतीश कुमार
बिहार में हो रहे उपचुनाव ने महागठबंधन में दरार डाल दी है। कांग्रेस ने कुशेश्वरस्थान और तारापुर सीटों पर होने वाले चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिया। ऐसे में अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया था। जिसका फायदा नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उनके दल जद (यू) को मिलता दिख रहा था।
शिवराज सिंह चौहान
इसी तरह मध्यप्रदेश के उपचुनाव के नतीजे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के लिए काफी अहम हैं। खास तौर पर यह देखते हुए कि भाजपा ने गुजरात (Gujarat) और उत्तराखंड (Uttarakhand) में अचानक मुख्यमंत्री बदल दिए हैं। ऐसे में अगर उचुनावों में पार्टी की हार होती हैं, तो उनकी कुर्सी पर खतरा मंडरा सकता है।
मनोहर लाल खट्टर
हरियाणा में किसान आंदोलन के दौर में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) का टेस्ट है। क्योंकि ऐलानाबाद की सीट पर इंडियन लोक दल के नेता अभय चौटाला चुनाव जीते थे। लेकिन किसान कानूनों के विरोध में उन्होंने यह सीट छोड़ दी थी।
अशोक गहलोत
इसी तरह राजस्थान की दो सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए अहम हैं। क्योंकि यह चुनाव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot)और सचिन पायलट (Sachin Pilot) की आपसी खींचतान और भाजपा में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) के समर्थकों के विरोध के बीच चुनाव हो रहे हैं। जहां तक बंगाल चुनाव की बात है तो वहां जिस तरह से भाजपा को छोड़कर नेता और विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।