सार

हरियाणा के नूंह(मेवात) में 31 जुलाई को मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा श्रावण सोमवार पर निकली जलाभिषेक यात्रा पर किए हमले में बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक राजपूत की मौत के मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। 

नूंह. हरियाणा के नूंह(मेवात) में 31 जुलाई को मुस्लिम कट्टरपंथियों की भीड़ द्वारा श्रावण सोमवार पर निकली जलाभिषेक यात्रा पर किए हमले में बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक राजपूत की मौत के मामले में कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। विश्व हिंदू परिषद(VHP) की ब्रजमंडल यात्रा में शामिल हजारों हिंदू श्रद्धालुओं पर घेरकर हमला किया गया था।

नूंह हिंसा में मारे गए बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक राजपूत की FIR में क्या है?

बजरंग दल कार्यकर्ता अभिषेक राजपूत की हत्या के मामले में पुलिस ने दंगाइयों के खिलाफ जो FIR दर्ज की है, उसमें लिखवाया गया कि सबसे पहले अभिषेक राजपूत को गोली मारी गई थी। फिर दंगाइयों में से एक ने उस पर तलवार से हमला किया। उसके बाद अन्य दंगाइयों ने उसे पत्थर मारे।

अभिषेक के चचेरे भाई महेश की शिकायत पर पुलिस ने आदिल, अरसद, अज़हरुद्दीन, शकील, जुनैद, जावेद, राहुल, अहमद, शोएब, लंगड़ा, अल्ताफ, अमीन और इनाम के खिलाफ FIR दर्ज की है। ये सभी नाम ड्यूटी मजिस्ट्रेट मुकुल कथूरिया की मंदिर हमले की विस्तृत शिकायत पर दर्ज FIR से मेल खाते हैं।

नूंह हिंसा- मंदिर पर हुए हमले की कहानी

अभिषेक के चचेर भाई महेश ने FIR में लिखवाया कि 22 वर्षीय अभिषेक एक निजी बस में पानीपाल से धार्मिक जुलूस जलाभिषेक ब्रज मंडल यात्रा मेवात दर्श में भाग लेने के लिए नूंह आया था। यात्रा में हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से लगभग 3,000-4,000 श्रद्धालु शामिल हुए थे। दोपहर करीब डेढ़ बजे जब यात्रा मंदिर से निकलने वाली थी तो प्रशासन ने उन्हें रोक दिया।

शाम करीब साढ़े पांच बजे योजनाबद्ध तरीके से 800-900 दंगाई अल्लाह-हू-अकबर के नारे लगाते हुए मंदिर की ओर बढ़े। उन्होंने श्रद्धालुओं पर जान से मारने के लिए ईंट-पत्थर बरसाना शुरू कर दिया। उन्होंने उन पर गोलियां भी चलाईं।

नूंह साम्प्रदायिक हिंसा-मंदिर पर गोलियां चला रहे थे दंगाई

महेश और उसका भाई अभिषेक एक तरफ खड़े थे, तभी 8-10 दंगाई ने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जुनैद, अल्ताफ,अमीन और इनाम मंदिर परिसर से शूटिंग कर रहे थे। ये कहते सुने गए कि जो भी रेंज में आए उसे गोली मार दो।

महेश के मुताबिक, उसे अपनी जान बचाने अभिषेक को छोड़कर एक तंबू में छुपना पड़ा। पुलिस जब मंदिर परिसर में पहुंची, तब दंगाई मंदिर की ओर गोली चलाते हुए भाग गए। पुलिस ने अभिषेक को इलाज के लिए नल्हड़ मेडिकल कॉलेज ले जाने में महेश की मदद की। हालांकि उसे बचाया नहीं जा सका। बाद में पुलिस श्रद्धालुओं को बचाकर पुलिस लाइन नूंह ले गई।

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