सार
एग्जाम में नकल के मामले सामने आते रहते हैं। इसे रोकने सरकारें लगातार कठोर कदम उठाती आ रही हैं। अब गुजरात सरकार ने नकलचियों और नकल कराने वालों पर नकेल कसने एक एक बिल लाई है।
अहमदाबाद(Ahmedabad). एग्जाम में नकल के मामले सामने आते रहते हैं। इसे रोकने सरकारें लगातार कठोर कदम उठाती आ रही हैं। अब गुजरात सरकार ने नकलचियों और नकल कराने वालों पर नकेल कसने एक एक बिल लाई है। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने राज्य की भाजपा सरकार द्वारा जारी बजट सत्र में भर्ती परीक्षा के पेपर लीक रोकने(recruitment exam paper leaks) के लिए लाए गए विधेयक( Bill) को अपनी मंजूरी दे दी है। इसमें 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है। संयोग से बिल 29 जनवरी को होने वाली पंचायत जूनियर क्लर्क एग्जामिनेशन के क्विश्चन पेपर लीक होने के कुछ सप्ताह बाद आया है।
गुजरात में नकल रोकने क्या इंतजाम, पढ़िए 12 बड़ी बातें
1. गुजरात सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम-(Prevention of Unfair Means) विधेयक, 2023 को 24 फरवरी को सदन में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने 6 मार्च को बताया कि राज्यपाल देवव्रत ने इसे अपनी सहमति दे दी है।
2.विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, परीक्षा पेपर लीक जैसे गलत आचरण में शामिल लोगों को 10 साल तक की जेल हो सकती है और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
3.यह कानून उन लोगों को सजा दिलाने के लिए है जो या तो भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र को लीक करते हैं या फिर गैर कानूनी तरीके से प्रश्न पत्र प्राप्त करते हैं या ऐसे पेपर को अवैध रूप से हल करते हैं।
4.बिल कहता है कि इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने वाले किसी भी उम्मीदवार को तीन साल तक की कैद की सजा दी जाएगी और कम से कम एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
5.इंस्पेक्शन टीम के किसी मेंबर या एग्जामिनेशन अथॉरिटी द्वारा नियुक्त व्यक्ति के काम में अड़चन डालने या धमकाने वाले व्यक्ति को तीन साल तक की कैद और कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
6.परीक्षार्थी सहित कोई भी व्यक्ति, जो अनुचित साधनों में लिप्त होता है या अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करता है, को पांच साल के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
7.इसके अलावा, ऐसा आरोपी जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा जो 10 लाख रुपये से कम नहीं होगा। जुर्माना 1 करोड़ रुपये तक बढ़ सकता है।
8.विधेयक में कहा गया है, "यदि कोई व्यक्ति ऑर्गेनाइज्ड क्राइम में एग्जामिनेशन अथॉरिटी के साथ साजिश रचकर अनुचित साधनों में लिप्त होता है, तो उसे सात साल की कैद की सजा दी जाएगी। इसे 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।"
9. विधेयक में कहा गया कि एक कोर्ट ऑर्गेनाइज्ड क्राइम में शामिल दोषी व्यक्तियों की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश भी दे सकती है।
10. विधेयक में यह भी है कि इसके तहत दोषी पाए गए व्यक्ति को दो साल के लिए किसी भी सार्वजनिक परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा।
11. बिल में कहा गया है, "अगर किसी संस्थान से जुड़ा कोई व्यक्ति इस अधिनियम के तहत दोषी पाया जाता है, तो ऐसी व्यावसायिक संस्था सार्वजनिक परीक्षा से संबंधित सभी लागत और व्यय का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार होगी और हमेशा के लिए प्रतिबंधित कर दी जाएगी।"
12.अधिनियम के तहत किए गए किसी भी अपराध की जांच एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी, जो इंस्पेक्टर के पद से कम नहीं होगा, लेकिन देखरेख एक डीएसपी करेंगे।
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