अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में CM मोहन यादव ने गीता को जीवन का सर्वोच्च मार्ग बताया। उज्जैन समेत पूरे प्रदेश में 3 लाख से अधिक लोगों द्वारा 15वें अध्याय का सस्वर पाठ किया गया।

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता एक अद्भुत और अनुपम ग्रंथ है। गीता का अध्ययन मनुष्य के जीवन से जुड़े सभी प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान कर देता है। उन्होंने कहा कि गीता का ज्ञान सम्पूर्ण सृष्टि की चेतना और ज्ञान का मूल आधार है। योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बुद्धि और प्रज्ञा से मनुष्य को धर्म, कर्म और जीवन के मर्म का सच्चा मार्ग दिखाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने कर्मयोग, निष्काम कर्म और धर्म पालन को मनुष्य का सर्वोच्च मार्ग बताया है। उन्होंने अर्जुन को यह समझाया कि संसार में रहते हुए भी मनुष्य को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और कर्म करते हुए फल की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। यही मार्ग व्यक्ति को मोक्ष और परम शांति की ओर ले जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सोमवार को रविन्द्र भवन परिसर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्घाटन किया। उन्होंने सभी प्रदेशवासियों को गीता जयंती की शुभकामनाएं दीं और कहा कि गीता हमें यह सीख देती है कि आत्मा अंततः परमात्मा में जाकर मिलती ही है।

दीप प्रज्ज्वलन और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान श्रीकृष्ण के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत हुई। महोत्सव में आचार्यों, संतों और हजारों कृष्णभक्तों की उपस्थिति में 11,000 पाठकर्ताओं ने एकस्वर में गीता के 15वें अध्याय का पाठ किया। इस सस्वर पाठ ने वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।

तीन लाख से अधिक लोगों द्वारा गीता पाठ का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछली वर्ष 3500 विद्यार्थियों ने एक साथ गीता पाठ कर अनोखा रिकॉर्ड बनाया था। इस बार 55 जिलों, 10 संभागों और 313 विकासखंडों में शाम तक 3 लाख से अधिक लोग गीता के 15वें अध्याय का पाठ करेंगे। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान, शिक्षा और कर्मवाद के प्रतीक हैं। कंस वध के बाद उन्होंने शिक्षा को सर्वोपरि रखा और उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में वेद, उपनिषद, 64 कलाएं और 14 विद्याएं सीखीं। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता हमें यह सीख देती है कि जीवन में चाहे कितनी भी ऊंचाई क्यों न मिले, हमें अपने मित्रों को नहीं भूलना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उनकी मदद करनी चाहिए।

श्रीकृष्ण का जीवन: संघर्ष, कर्म और प्रेरणा

मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन कर्मवाद और संघर्ष से भरा है। महाभारत में उन्होंने अर्जुन को कर्तव्य मार्ग चुनने की शिक्षा दी। उन्होंने समझाया कि मनुष्य को मोह या कर्तव्य में से किसी एक मार्ग को चुनना पड़ता है और सही मार्ग कर्तव्य का होता है। हर जीव की मृत्यु निश्चित है और व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने 15वें अध्याय में आत्मा और परमात्मा के माध्यम से ‘पुरुषोत्तम’ ज्ञान दिया है।

श्रीकृष्ण से जुड़े स्थलों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े सभी स्थानों को तीर्थस्थल के रूप में विकसित कर रही है। जैसे द्वारका, मथुरा और वृंदावन का महत्व है, वैसे ही उज्जैन भी पवित्र है। जहां-जहां श्रीकृष्ण के चरण पड़े, वहां ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ विकसित किया जा रहा है। साथ ही सभी नगरीय निकायों में 'गीता भवन' बनाने का कार्य चल रहा है। इंदौर के राजवाड़ा में पहला गीता भवन तैयार हो चुका है और सोमवार को इसकी शुरुआत भी की जा रही है।

सांस्कृतिक आयोजनों को नई दिशा

अपर मुख्य सचिव गृह, संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश में सांस्कृतिक गतिविधियों को नई दिशा मिली है। उज्जैन में 11 हजार भक्तों द्वारा सस्वर गीता पाठ किया गया और शाम तक 3 लाख से अधिक लोग गीता पाठ कर नया रिकॉर्ड बनाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गीता को घर-घर तक पहुंचाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है।

कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण: एआई आधारित ‘कृष्णायन’ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पहली बार एआई आधारित संगीत नाट्य ‘कृष्णायन’ का मंचन किया जा रहा है, जो दर्शकों को श्रीकृष्ण के दिव्य जीवन की अनुभूति कराएगा। इसके साथ ही विश्व गीता प्रतिष्ठानों द्वारा नृत्य नाटिका, दिव्यांग कलाकारों की विशेष ‘गीता ऑन व्हील्स’ प्रस्तुति और चित्र प्रदर्शनी आयोजन के मुख्य आकर्षण हैं। कार्यक्रम में मंत्रीगण, विधायक, संत, आचार्य, धर्मगुरु और हजारों गीता पाठक उपस्थित रहे।