Ujjain News : मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले से हरियाणा की खाफ पंचायत जैसा मामला सामने आया है। यह तालिबानी फरमान एक पुजारी और उसके परिवार के लिए है। जिसका पूरे गांव में हुक्का-पानी बंद कर दिया गया है। बच्चों के स्कूल से लेकर दाढ़ी-बाल तक को नहीं काटेगा।
मध्यप्रदेश की बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। जहां गांव के लोगों ने एक पुजारी को लेकर हरियाणा की खाप पंचायत जैसा फरमान सुनाया। सामाजिक बैठक में मंदिर के पुजारी और उनके परिवार का बहिष्कार करने का फैसला सुनाया गया। इतना ही नहीं गांव में बच्चों की पढ़ाई, पूजा-पाठ, बाल कटवाने और मजदूरी करने तक पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
उज्जैन जिले के झलारिया पीर गांव का है मामला
दरअसल, यह तालिबानी फैसला उज्जैन जिले के झलारिया पीर गांव का है। जहां गांव के नागराज मंदिर परिसर में ग्रामीणों ने एक पंचायत बुलाई थी। जिसमें पंचायत के सचिव माइक पर यह फैसला सुना रहे थे। इस फैसले में साफ-साफ कहा गया कि यदि कोई इस फैसले का उल्लंघन करता है तो उसे 51 हजार रुपए का जुर्माने की रकम भरनी होगी। यह मामला जिला कलेक्टर तक पहुंच गया है। डीएम ने पूरे घटनाक्रम के जांच के आदेश दे दिए हैं।
जानिए क्यों गांव के लोगों ने बुलाई ये खाप पंचायत
बता दें कि झलारिया पीर गांव में सालों पुराना देव धर्मराज मंदिर है। जिसकी पूजा-पाठ और देखरेख पूनमचंद चौधरी का परिवार सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी करता आ रहा है। मंदिर के पास करीब 4 बीघा जमीन भी है, जिसकी खेती पुजरी अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए करते हैं। लेकिन गांव के कुछ दबंग लोग इस मंदिर की जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं, साथ ही मंदिर को भी दूसरी जगह शिफ्ट करने की योजना बना रहे हैं। जब पुजारी ने जमीन और मंदिर को दूसरी जगह बनाने पर विरोध किया तो लोगों ने मिनकर उनके खिलाफ इस तरह का मोर्चा खोल लिया। पुजारी के बेटे मुकेश चौधरी ने बताया कि गांव के कुछ लोग उनके परिवार को निशाना बना रहे हैं। इसलिए इन लोगों ने मिलकर 14 जुलाई को पंचायत बुलाकर बहिष्कार करने का फैसला सुनाया है।
उज्जैन खाप पंचायत ने सुनाए ये 10 फरमान
- मंदिर के पुजारी और उनके परिवार का पूर्ण रूप से गांव से बहिष्कार
- गांव का कोई भी व्यक्ति पुजारी के घर ना जाएगा और ना ही उन्हें बुलाएगा
- पुजारी से गांव में कोई किसी तरह की पूजा पाठ भी नहीं कराएगा
- गांव का कोई भी नाई पुजारी के परिवार के बाल और दाढ़ी नहीं बनाएगा
- कोई भी मजदूर पुजारी के खेत पर और घर पर काम करने नहीं जाएगा
- गांव की कोई भी शादी विवाह में ना पुजारी के परिवार को बुलाएगा और ना ही उनके बुलाने पर जाएगा
- कोई उनके साथ किसी भी तरह के कोई संबंध नहीं रखेगा, खाने से लेकर पानी तक बैन
- गांव के स्कूल में पढ़ रहे पुजारी के बच्चों को भी निकाला जाएगा
- कोई भी सफाईकर्मी पुजारी के घर नहीं जाएगा। चाहे किसी की मौत क्यों ना हो जाए।
- जिस ग्रामीण ने पुजारी का साथ दिया तो उस पर 51 हजार का जुर्माना लगाया जाएगा
क्या हैं खाप पंचायतें?
- यह पंचायतें पारंपरिक सामाजिक संस्थाएं हैं जो, जो पुराने रिवाज पर जोर देते हैं। मुख्य रूप से उत्तर भारत में पाई जाती हैं।
- मुख्य रूप ये यह खाप पंचायतें हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाई जाती हं।
- इन पंचायतें एक गोत्र, बिरादरी या गांव के प्रभावशाली लोग बनाते हैं, वही इन पर फैसला लेते हैं।
- इन पंचायतों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था बनाए रखना और विवादों का निपटारा करना होता है।
- यह पंचायते गांव के किसी भी मामले को सुलझाने में सक्षम होती हैं। पुलिस तक मामला नहीं पहुंचने देते हैं।
- पिछले कुछ सालों से खासतौर से हरियाणा में खाप पंचायतों को लैंगिक असमानता और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
