सावित्री कठेरिया ने बताया, उन्हें अब तक चार बार धमकी मिल चुकी है। सितंबर 2017 में दिल्ली में पत्थर मारकर गाड़ी का शीशा तोड़ा गया था। 28 और 29 अप्रैल को भी जान माल की धमकी मिली थी।
मोहसिन ने कहा, पाकिस्तान में आतकंवाद की नर्सरी लगती है। धारा 370 हमें पहले ही हटा देना चाहिए था। लेकिन हमसे पहले की सरकार ने कभी हिम्मत ही नहीं जुटाई। हमारी सरकार ने धारा 370 को हटाकर पड़ोसी देश की कमर तोड़ दी।
एसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया, घटना हरदोई जिले के कोतवाली शहर इलाके के भदेसा गांव की है। जानकारी के मुताबिक, रविवार (15 सितंबर) भदेसा का रहने वाला अभिषेक (24) अपनी प्रेमिका से चोरी-छिपे मिलने उसके घर पहुंचा था।
वर्तिका सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए जेएम सेकंड ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। वर्तिका ने धारा 156/3 के तहत जेएम द्वितीय कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें इकबाल अंसारी पर देशद्रोह व कई अन्य मामलों में केस दर्ज करने की मांग की गई थी।
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को एक नया विवाद छेड़ दिया है। भोपाल में संत समागम में दिग्विजय सिंह ने संघ पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने संघियों को बलात्कारी तक कह डाला।
जया ने कहा, अखिलेश कहते हैं कि उनकी सरकार बनी तो वो आजम के खिलाफ लगे सभी केस वापस ले लिए जाएंगे। लेकिन ऐसा होगा नहीं, क्योंकि अब वो कभी सीएम बन ही नहीं पाएंगे। मोदी जी ऐसे नेता हैं, जो लोगों के लिए काम करते हैं, इसलिए लोग उन्हें वोट देते हैं।
छत्तीसगढ़ में शर्मनाक मामला, जहां एक बेटा एक लड़की का रेप करता है और उसकी मां आरोपी का साथ देते हुए उसका वीडियो बनाती रही। इसकी सारी प्लानिंग युवक की बहन और बहनोई ने की थी।
यूपी के कैबिनेट मंत्री रह चुके राजभर ने कहा, सत्तारूढ़ बीजेपी ने प्रदेश की 13 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव में फायदा लेने के लिये 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल करने का नाटक रचा।
मायावती ने मंगलवार को ट्वीट किया, उत्तर प्रदेश में 17 ओबीसी जातियों को जबर्दस्ती एससी घोषित करने पर उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगाने की खबर आज स्वाभाविक तौर पर बड़ी सुर्खियों में है। घोर राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित ऐसे फैसलों से किसी पार्टी/सरकार का कुछ नहीं बिगड़ता है लेकिन पूरा समाज इससे प्रभावित होता है।
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के उप स्वास्थ केंद्र के मैदानी कर्मचारियों को बरसात के चार महीने नदी पार कर गांवों में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है। चारों तरफ से महान नदी से घिरे इन बसाहटों तक पहुंचने के लिए अभी तक पुल-पुलियों का निर्माण नहीं कराया गया है। यही वजह है कि बरसात के दिनों में न सिर्फ ग्रामीणों को बल्कि फील्ड स्वास्थ्य कर्मचारियों को भी जान जोखिम में डालकर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करानी पड़ती है।