सार

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ मैं मौजूद सांवलिया सेठ मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां भगवान के दर्शन और चढ़ाव देने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भक्त आते हैं। सांवलिया सेठ के खजाने से इतना पैसा निकलता है कि गिनने के लिए कर्मचारी लगाने पड़ते हैं।

चित्तौड़गढ़. राजस्थान का प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर पूरे देश में अपने चढ़ावे के लिए प्रसिद्ध है। यहां हर महीने भक्त सांवलिया भगवान को करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ाते हैं। हाल ही में मंदिर के मासिक चढ़ावे की गिनती हुई है। 2 दिन तक चढ़ावे की राशि जोड़ने पर पता चला कि अब तक करीब 8.35 करोड़ रूपए का चढ़ावा आ चुका है। हालांकि अभी और गिनती होना भी बाकी है। जो आज की जायेगी।

हर महीने की चतुर्दशी को खोला जाता है सांवलिया सेठ मंदिर का खजाना

आपको बता दें कि मेवाड़ के सांवलिया सेठ मंदिर में केवल राजस्थान ही नहीं देश के कई राज्यों से भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं। हर महीने की चतुर्दशी को यहां भंडारा खोला जाता है। उसके बाद ही मंदिर के कर्मचारियों और बैंककर्मियों द्वारा यहां चढ़ावे की राशि को गिना जाता है। मंदिर पदाधिकारियों ने बताया कि अभी चढ़ावे में आए हुए सोने और चांदी को तौलना बाकी है। आज शाम तक मंदिर के इस महीने के पूरे चढ़ावे का पता चल जाएगा।

अफीम की खेती करने वाले किसान सांवलिया सेठ से मांगते हैं अरदास

आपको बता दें कि केवल यह मंदिर चढ़ावे के मामले में नहीं बल्कि भक्तों की आस्था का केंद्र है। चित्तौड़गढ़ इलाके में ज्यादा अफीम की खेती की जाती है। ऐसे में अफीम की खेती करने वाले किसान फसल बोने से पहले सांवलिया सेठ से अरदास मांगते हैं कि उनकी फसल अच्छी हो जाए। यदि उनकी फसल अच्छी होती है तो वह अपनी कमाई का करीब 10 से 15% हिस्सा मंदिर में दान करके चले जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो भक्त यहां सोने चांदी से बने छोटे ट्रैक्टर भी चढ़ा कर जाते हैं।

मंदिर में करोड़ों रुपए का तो गुप्त दान आता है...

अलावा मंदिर में करोड़ों रुपए का तो गुप्त दान किया जाता है। इसका पता भी नहीं चल पाता कि आखिरकार यह दान किया किसने है। जल्द ही मंदिर का गर्भगृह भी अलग अंदाज में नजर आने वाला है। क्योंकि यहां भी भक्तों के सहयोग से आभूषणों से इनोवेशन करवाया जा रहा है। राजस्थान में इसके अलावा कई ऐसे अनेक मंदिर है जहां श्रद्धालु हर महीने लाखों की संख्या में पहुंचते हैं लेकिन आज भी चढ़ावे के मामले में सांवलिया सेठ मंदिर ही पहले नंबर पर है।