सार
राजस्थान में आईएसआईएस के लिए जासूसी करने वाले वैलिड वीजा ले भारत आए पाक जासूसों को अरेस्ट कर सीक्रेट जानकारी शेयर करने के मामले में दोषी मानते हुए कोर्ट ने कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कैद के साथ- साथ 10 हजार का अर्थदंड लगाया गया है।
जयपुर (jaipur). पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर पाकिस्तान से वैध पासपोर्ट एवं वीजा पर भारत आए पाक जासूस और उसके दो सहयोगी पाकिस्तानी नागरिकों को जैसलमेर में भारतीय सेना की गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भिजवाने के आरोपों में दोषी मानते हुए मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 7 साल एवं अलग से 1 व 2 साल के कठोर कारावास एवं 10 हजार रुपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
वैलिड वीजा ले जासूसी करने पाकिस्तान से भारत आया आरोपी
अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस इंटेलिजेंस श्री एस सेंगाथिर ने बताया कि पाकिस्तान के सांगड जिले में खिंपरो निवासी नंदलाल उर्फ नंदू महाराज पुत्र नरसिंह वैध पासपोर्ट एवं वीजा पर जोधपुर आया था। आईएसआई के इशारे पर जैसलमेर पहुंच भारतीय सेना की गोपनीय सूचनाएं एकत्रित कर पाकिस्तान भिजवा रहा था।
मुख्य आरोपी और सहयोगियों को किया गया अरेस्ट
एडीजी श्री सेंगाथिर ने बताया कि सीआईडी इंटेलिजेंस की टीम ने 20 अगस्त 2016 को शासकीय गुप्त बात अधिनियम और विदेशी अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत पाक जासूस नंदलाल उर्फ नंदू महाराज गिरफ्तार किया था। रिसर्च के दौरान नंद लाल की जासूसी में मदद करने के आरोप में दो अन्य पाक नागरिक भाइयों गौरीशंकर व प्रेम चंद पुत्र खेमचंद को गिरफ्तार किया गया। एडीजी ने बताया कि दोनों भाई भी पाकिस्तान के सांगड जिले में खिंपरो क्षेत्र के ही रहने वाले हैं। पाकिस्तान से लॉन्ग टर्म वीजा पर भारत आने के बाद दोनों जोधपुर के हाउसिंग बोर्ड क्षेत्र के हरिनगर और शंकर नगर में अलग-अलग मकान में रह रहे थे।
2016 में आरोपियों को अरेस्ट कर कोर्ट में पेश की गई थी चार्जशीट
ADG ने बताया कि अनुसंधान के बाद तीनों अभियुक्तों के विरुद्ध 16 नवंबर 2016 को मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट जयपुर महानगर प्रथम के न्यायालय में सीआईडी इंटेलिजेंस द्वारा चार्जशीट पेश की गई। जहां सुनवाई में तीनों अभियुक्तों को शासकीय गुप्त बात अधिनियम की धाराओं में दोष सिद्ध पाए जाने पर 7 वर्ष की सजा सुनाई गई। धारा 10 में अभियुक्त गौरीशंकर व प्रेमचंद को दोषी पाए जाने पर 1 वर्ष के कठोर कारावास तथा अभियुक्त नंदलाल को विदेशी अधिनियम की धाराओं में दोषी पाए जाने पर 2 वर्ष के कठोर कारावास व 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।