सार

राजस्थान में सीएम गहलोत ने पुलिस को निर्देश दिए कि थाने में आने वाले महिलाओं और सीनियर सिटीजन का केस हर हाल में दर्ज करना है। पर राजधानी में पुलिस ने इस निर्देश की धज्जियां उड़ा दी। ऑनलाइन ठगी की शिकायत दर्ज कराने रिटायर्ड अफसर लगाता रहा चक्कर।

जयपुर (jaipur news). राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश डीजीपी उमेश मिश्रा ने सभी पुलिस थानों को निर्देश दिए हैं कि थाने पर आने वाले परिवादी खाली हाथ नहीं जाने चाहिए। खास तौर पर महिलाएं और सिनियर सिटीजन के तो हर केस दर्ज करना जरुरी है। लेकिन सीएम और डीजीपी के निर्देशों की धज्जियां राजधानी की पुलिस ने ही उड़ा दी। 86 साल के एक बुजुर्ग को इतना परेशान किया कि वे थाने पर ही बिफर पड़े। तीन बार थाने आने पर भी उनका मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। बाद में जब उन्होनें आला अधिकारियों के पास जाने की बात कही तब जाकर उनका मुकदमा दर्ज किया गया। अब बजाज नगर पुलिस इस केस की जांच कर रही है। बुजुर्ग के खातों से छह लाख रुपए से ज्यादा कैश निकाला जा चुका है।

ऑनलाइन जमा किया बिल पर नहीं हुआ पेमेंट

दर्ज केस के आधार पर पुलिस ने बताया कि सतीश कुमार शर्मा जिनकी उम्र करीब 86 साल है। वे बजाज नगर थाना इलाके में अपनी पत्नी के साथ रहते हैं। वे यूपी ग्रामीण विकास विभाग में अधिकारी के पद से रिटायर हुए थे। उनका बेटा दिल्ली में सैटल है। वे अपनी पत्नी के साथ रह रहे हैं और बिलिंग संबधी अधिकतर काम ऑनलाइन ही करते हैं। इस महीने के शुरुआती सप्ताह में आए बिजली का बिल जमा कराने के लिए उन्होने सात मार्च को ऑन लाइन उसका भुगतान किया। बिल करीब दो हजार रुपए का था। पता चला कि किसी कारण से बिल जमा नहीं हो सका।

कॉल कर ठगों ने ली सारी जानकारी

ऐसे में उनके पास एक व्यक्ति का फोन आया और उसने कहा कि आपका बिल जमा नहीं हुआ है, बैंक खाते में कोई समस्या है। चाहें तो बैंक खाते की जानकारी दे देवें उसे सही कर दिया जाएगा और भुगतान हो जाएगा। सतीश कुमार फोन करने वाले की बातों में आ गए और बातों ही बातों में खाते की जानकारी उससे शेयर कर ली। उसके बाद बिल की समस्या खत्म हो गई।

7 दिनों में निकल गए 6 लाख रुपए, थाने में भी नहीं की शिकायत दर्ज

लेकिन उसके बाद सात मार्च से चौदह मार्च तक उनके खाते से लगातार रूपए निकाले जाते रहे। सात दिन के दौरान खातों से छह लाख तेरह हजार रुपए निकाल लिए। चौदह मार्च को वे किसी काम से बैंक गए तब जाकर वहां पता चला। वे सीधे थाने दौड़े। थाने में उनकी एप्लीकेशन लेकर उन्हें टरका दिया गया। कुछ दिन बाद फिर गए तो फिर से टरका दिया। उसके बाद कल थाने जाकर वे बिफर गए और उच्च अधिकारियों के पास जाने की बात कही तो उनका मुकदमा दर्ज किया गया। केस ही चौदह दिन बाद दर्ज किया गया है तो अब पैसा वापस कब मिलेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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