सार

जयपुर से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो हर किसी को झकझोर कर रख देगी। जहां एक कारखाना मालिक 12 साल के 22 बच्चों को 500-500 रुपए में खरीदकर लाया था। जिनसे 18 घंटे की मजदूरी करवाता था। मासूमों के हथेलियां जल चुकी थीं। पुलिस पहुंची तो लिपटकर रोने लगे।

जयपुर (राजस्थान). जयपुर पुलिस ने हाल ही में एक संस्था के साथ मिलकर करीब 22 बच्चों को लाख की चूड़ी बनाने वाले कारखाने से रेस्क्यू किया है । अधिकतर बच्चों की उम्र 9 साल से लेकर 13 साल तक है। इन्हें बिहार से यहां पर काम सिखाने , पढ़ाने और उसके बाद काम पर रखने के लिए लाया गया था। लेकिन जब बाल श्रम के खिलाफ काम करने वाली संस्था को इसका पता चला कि बच्चों के साथ ज्यादती हो रही है, तो उन्होंने लोकल पुलिस के साथ मिलकर बड़ी कार्रवाई कर डाली । मामला जयपुर के भट्टा बस्ती थाना क्षेत्र का है । कई घंटों के बाद भी बच्चे अभी तक सदमे में है और बार-बार संस्था के अधिकारियों और पुलिस से यही पूछते हैं कि क्या अब हमें वापस उस नर्क में तो नहीं भेज देंगे...? अब संस्था के अधिकारी इन बच्चों को वापस उनके घर बिहार भेजने की प्रक्रिया में जुट गए हैं ।

राजधानी जयपुर में एक अंधेरे कमरे में मिले ये 22 मासूम बच्चे

पूरे घटनाक्रम के बारे में भट्टा बस्ती थाना पुलिस ने बताया कि बच्चों के लिए काम करने वाले एनजीओ की सूचना पर 12 जून की दोपहर थाना क्षेत्र में स्थित एक गली में जाकर रेड की थी। पता चला वहां पर लाख की चूड़ी बनाने का कारखाना था। कारखाने में बाहर के हिस्से में कुछ लड़के बैठे थे, जिनकी उम्र करीब 25 से 30 साल के बीच थी । जब पुलिस और एनजीओ की टीम अंदर जाने लगी तो लड़कों ने पुलिस को रोक लिया । पुलिस ने उन्हें धक्के देकर पीछे धकेल दिया और उसके बाद जब पुलिस वाले अंदर गए तो दो अंधेरे कमरों में से 22 लड़कों को आजाद कराया गया ।

जल चुकी थीं मासूमों की हथेलियां…देखते ही पुलिसवालों से लिपट रोने लगे 

इन लड़कों के हथेलियां लगभग जली हुई थी, गरम लाख से। इन्हें गर्म लाख से चूड़ियां बनानी पड़ती थी और हर रोज 16 से 18 घंटे काम करना पड़ रहा था । जब बच्चों ने पुलिस वालों को देखा तो बच्चे डर गए । बाद में पुलिस वालों ने कहा कि वे उन्हें छुड़ाने आए हैं , तो कुछ बच्चे तो पुलिस वालों से लिपटकर ही रोने लग गए। एक 13 साल के बच्चे ने बताया कि शाहनवाज उर्फ गुड्डू नाम का एक आदमी उन्हें बिहार से लेने आया था । लगभग सभी बच्चे बिहार के सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं ।

बच्चों पर जुल्म करने वाला कारखाना मालिक पत्नी को लेकर हुआ फरार

इस घटनाक्रम के बारे में जब कारखाना मालिक शाहनवाज को पता चला तो वह अपनी पत्नी को लेकर वहां से भाग गया , जबकि उसके 4 बच्चे हैं, जो घर पर ही मौजूद थे ।बच्चों ने पुलिस को बताया कि 9 साल के एक बच्चे को कुछ दिन पहले लोहे की रॉड से पीटा गया था। उसकी छाती पर तेजी से राड मारी गई थी , तभी से उसकी छाती में दर्द हो रहा है । 12 साल का एक बच्चा इतना कमजोर मिला कि वह खड़ा भी नहीं हो पा रहा था, उसे भी अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बचपन बचाओ संस्था की मदद से आजाद हुए मासूम

इस पूरे घटनाक्रम के बारे में बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था बचपन बचाओ आंदोलन के डायरेक्टर मनीष शर्मा ने बताया कि हमारी टीम को यह जानकारी मिली थी। हमने पुलिस की मदद से मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करने की कोशिश की , लेकिन कुछ परेशानी आई । पुलिस अपना काम कर रही थी, लेकिन इसी दौरान हमारी टीम के लोग जिनमें महिलाएं शामिल हैं , वह दीवार कूदकर घर के अंदर चली गई । क्योंकि दूसरी तरफ ताला लगा हुआ था और उन्हें अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था । वहां पर 22 बच्चे बाल मजदूरी करते हुए मिले ।

मासूमों को खाने में दी जाती थी सिर्फ खिचड़ी

एक बच्चे ने पुलिस को बताया कि उन्हें सवेरे और शाम को बस दो समय सिर्फ खिचड़ी दी जाती थी और नहाने तक का पानी भी नहीं दिया जाता था । उनके परिवार से पांच-पांच सौ में बच्चों को यहां लेकर आया गया था और यह कहा गया था कि हर महीने उनके खाते में रुपए डलवा दिए जाएंगे , बच्चों को काम सिखाया जाएगा और उन्हें स्कूल भी भेजा जाएगा ताकि वे अच्छे आदमी बन सके और परिवार का नाम रोशन कर सकें । अब बच्चों को अपने घर जाना है । 2 दिन से उनके बिहार जाने का इंतजार किया जा रहा है।