सार

नौतपा की शुरूआत हो चुकी है। इन नौ दिनों दिनों  भीषण गर्मी पड़ती है। लेकिन राजस्थान में पहले ही दिन इतनी तेज बारिश हुई कि पूरे प्रदेश में हाहाकार मच गया। 13 लोगों की मौत हो गई। 200 मवेशियों की जान चली गई, 500 पेड और बिजली के पोल गिरे गए।

 

जयपुर. इस साल राजस्थान में नौतपा गर्मी और उमस नहीं भयंकर बारिश और अंधड़ लेकर आया है। बारिश और अंधड इतना तेज था कि देर रात तीन से चार घंटों में ही तेरह लोगों की मौत हो चुकी है। करीब तीस से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती हैं जिनमें से दस की हालत बेहद गंभीर है। इन मौतों के अलावा करीब दो सौ से भी ज्यादा मवेशियों की जान जा चुकी है। अंधड़ के चलते शहरों में भारी नुकसान हुआ है। सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान के टोंक जिले में हुआ है। वहां पर देर रात तक 11 मौतें हो चुकी हैं। इनमें बच्चे भी शामिल हैं।

गंगानगर और अजमेर में दीवारें गिरने अैर मलबे के नीचे दबने से कई लोगों की मौत

अंधड़ और भारी बारिश के चलते कहीं पर लोहे की टीन ने जान ले ली तो कहीं मकानों की दीवारें आ गिरी अैर मलबे के नीचे दबने से लोगों की मौत हो गई। गंगानगर जिले में बारिश के दौरान सुरक्षित जगह जा रही एक युवती पर देर रात बिजली गिरी और मौके पर ही उसकी जान चली गई। इसी तरह से अजमेर जिले में भी एक किसान की बिजली गिरने से मौत हो गई।

जयपुर, दौसा, टोंक जिले में भी कई घायल, दादा के पास बैठे थे पोता पोते, लोहे की टीन ने तीनों को काट दिया

वहीं टोंक शहर के धन्ना तलाई क्षेत्र में घर के बाहर बैठे दादा, पोता और पोती के सिर में नजदीक ही रखी लोहे की टीन जा धंसी और तीनों की जान चली गई। टोंक जिले के निवाई इलाके में कटोरावास और आवां गांव में दो की जान मकान के मलते में दबने से चली गई। टोंक के ही मालपुरा, पचेवर, देवली और टोडारायसिंह इलाके में छह अन्य लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा जयपुर, दौसा, टोंक, समेत अन्य शहरों में तीस से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। जयपुर में दो मकान गिरने से आठ लोग गंभीर घायल हैं और अस्पताल में भर्ती हैं।

राजस्थान के इन जिलों में बारिश ने मचाई तबाही

जयपुर के अलावा अलवर, बारां, भरतपुर, बूंदी, दोसा, धौलपुर, झुंझुनू, करौली, कोटा, सवाई माधोपुर, सीकर, टोंक, बीकानेर, चूरू, नागौर, श्रीगंगानगर में बारिश से ताबही मची है। आधे से ज्यादा शहरों में तो देर रात ग्यारह बजे गई लाइट तडके चार बजे आई है। इन शहरों में दो सौ से ज्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है। करीब पांच सौ से ज्यादा बिजली के पोल टूटकर नष्ट हो चुके हैं। पेड़ों की संख्या भी बहुत ज्यादा है।