आज तक कोई ना समझ सका मेहरानगढ़ किले का 'आसमानी' रहस्य
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मेहरानगढ़ किले को देखने आते हैं लाखों पर्यटक
मेहरानगढ़ किले का दीदार करने हर साल हजारों-लाखों लोग आते हैं। यहां आने के बाद हर कोई सिर्फ आसमान की ओर देखकर भौचक्का रहता है। कोई समझ नहीं पाता कि आखिर क्यों इतनी बड़ी संख्या में यहां चीलें उड़ती रहती हैं।
जोधपुर में मौजूद है मेहरानगढ़ प्रसिद्ध किला
मेहरानगढ़ का किला जोधपुर में स्थित है। लोग बताते हैं कि यह लगभग 565 साल पुराना है। किले के शिखर पर जाकर जोधपुर शहर का दीदार किया जा सकता है।
मेहरानगढ़ किले के ऊपर मंडराते हैं चील
मान्यता है कि चील माता यहां के लोगों की रक्षा करती हैं। इसी वजह से हमेशा किले के ऊपर वो मंडराती रहती हैं। जोधपुर का राज परिवार चीलों के लिए भोजन की व्यवस्था भी करवाता है। इन्हें अलग-अलग पकवान दिए जाते हैं।
मेहरानगढ़ किले का निर्माण कब हुआ शुरू
1459 में राव जोधा सिंह ने मेहरानगढ़ किले का निर्माण शुरू करवाया था। किला जोधपुर के सबसे ऊपरी हिस्से में है।
मेहरानगढ़ किले में मौजूद हैं कुल 7 दरवाजे
मेहरानगढ़ की ऊंचाई करीब 410 फीट है। किले में कुल सात दरवाजे हैं, जो यहां के राजाओं ने अपनी-अपनी जीत की खुशी में बनवाए थे।
मेहरानगढ़ की खासियत
गर्मी हो या सर्दी, दोनों सीजन में पर्यटकों की भीड़ किले को देखने के लिए आती है। बाहरी हिस्सा ही नहीं, बल्कि अंदर का हिस्सा भी पर्यटकों को काफी लुभाता है।
मेहरानगढ़ किले के अंदर की तस्वीर
मेहरानगढ़ किले के अंदर कांच और पत्थरों पर अलग-अलग शैली में नक्काशी की गई है, जो यहां आने वाले हर पर्यटक का मन मोह लेती है।
ब्लू सिटी के नाम से फेमस है जोधपुर
जोधपुर को ब्लू सिटी भी कहते हैं। ये शहर मेहमानों की खातिरदारी करने के लिए मशहूर माना जाता है।