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कामयाब होना है तो इस छोरे की कहानी पढ़िए, 50 बार फेल हुआ...हिम्मत नहीं हारी, 60वीं बार में बन गया तहसीलदार

सफलता न मिलने पर कोई कितनी बार कोशिश करता होगा एक बार, दो बार या 10 बार। लेकिन राजस्थान के बाड़मेर ने कामयाबी के लिए जो प्रयास किए हैं वह कई लोगों के लिए सीख है। जो 50 से ज्यादा बार फेल हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। आखिर में 60वीं बार में कामयाबी मिली

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Arvind Raghuwanshi
Published : May 09 2023, 11:52 AM IST
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राजस्थान का एक लड़का ऐसा भी है जिसे 59 बार कोशिश करने पर भी सफलता नहीं मिली। लेकिन वह कभी भी पीछे नहीं हटा और बस कोशिश करता रहा। नतीजा यह निकला कि अब 60 वीं बार में उसे सफलता मिल गई है। और वह अब एक तहसीलदार बन गया है।

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हम बात कर रहे हैं राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले रमेश राजपुरोहित की। जिनका सिलेक्शन राजस्थान प्रशासनिक सेवा में होने के बाद राजस्थान तहसीलदार सेवा में हुआ। रमेश के पिता हालसिंह राजपुरोहित पेशे से सरकारी टीचर है। जबकि मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता।

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रमेश की में हाल ही विनीता राजपुरोहित से शादी हुई है। जो उदयपुर की मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट पोस्ट पर नौकरी कर रही है। नौकरी पाने के लिए रमेश ने न जाने कितने ही संघर्ष किए।

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स्कूल की 9वीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद घर से करीब 100 किलोमीटर दूर आकर रमेश में हॉस्टल में रहकर 10वीं और 12वीं क्लास पास की इसके बाद मैकेनिकल ब्रांच बीटेक कर लिया।

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रमेश बताते हैं कि उन्होंने अब तक करीब 59 बार वह सेंट्रल ओर स्टेट गवर्नमेंट एग्जाम के फॉर्म बाहर चुके हैं। यहां तक कि दो बार यूपीएससी का एग्जाम भी खूब पढ़ कर दे चुके हैं लेकिन उनका भाग्य साथ नहीं दिया। रमेश बताते हैं कि पहले वह एक साथ 10-10 परीक्षाओं की तैयारी करते थे। लेकिन बाद में उन्होंने सिस्टम चेंज किया और केवल एक ही एग्जाम पर फोकस करना शुरू कर दिया।

About the Author

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Arvind Raghuwanshi
अरविंद रघुवंशी। 2012 से पत्रकारिता जगत में कार्यरत हैं, 13 साल का अनुभव। 2019 से एशियानेट न्यूज हिंदी में बतौर सीनियर चीफ सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। हाइपर लोकल या कह लें स्टेट टीम को ये लीड कर रहे हैं। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (MCU) से मास्टर ऑफ जर्नलिज्म (MJ) किया है। नेशनल, पॉलिटिक्स, क्राइम और फीचर स्टोरीज में लिखना पसंद है। दैनिक भास्कर के डिजिटल विंग, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रीय हिंदे मेल जैसे मीडिया संस्थानों में भी ये काम कर चुके हैं।

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