शाम 7 बजे कैलाश जैसे ही मंच पर पहुंचे पूरा स्टेडियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कैलाश ने शुरुआत आओ जी, आओ जी से की। इसके बाद मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया..., मेरे भोले..., तौबा तौबा तौबा उफ्फ, तौबा तौबा वे काशी तेरी सूरत की धुन छेड़ी तो जनता ने भी सुर में सुर मिलाया।