योगी सरकार ने माघ मेला-2026 का आधिकारिक लोगो जारी किया। लोगो में माघ मास की साधना, 27 नक्षत्र, सूर्य-चंद्र की स्थिति, अक्षयवट, बड़े हनुमान जी का मंदिर और पर्यावरण बोध शामिल हैं। माघ मेला सूर्य-चंद्र चाल और नक्षत्रीय गणना पर आधारित पवित्र पर्व है।
प्रयागराज। प्रयागराज महाकुंभ-2025 के दिव्य आयोजन के बाद अब उत्तर प्रदेश की योगी सरकार माघ मेला–2026 को भी ऐतिहासिक स्वरूप देने की तैयारी में है। इसी प्रक्रिया के तहत माघ मेले की भावना, परंपरा और आध्यात्मिकता को दर्शाने वाला आधिकारिक लोगो जारी किया गया है। यह प्रतीक चिन्ह मुख्यमंत्री के स्तर से सार्वजनिक किया गया।
माघ महीने की आध्यात्मिकता और खगोलीय तत्वों का सुंदर मेल
जारी किए गए लोगो में माघ मास के जप-तप, साधना और कल्पवास की महत्ता को विशेष स्थान दिया गया है। लोगो में शामिल प्रमुख तत्व-
- माघ काल में संगम तट पर होने वाली अध्यात्म साधना
- नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर सात ऊर्जा चक्र (चक्र सिस्टम)
- अक्षय पुण्य और मोक्ष का प्रतीक अक्षयवट
- सूर्य देव, चंद्र देव और उनकी 27 नक्षत्रों के साथ ब्रह्मांडीय यात्रा
- श्री लेटे हुए हनुमान जी का दर्शन कराता बड़े हनुमान जी का मंदिर
- सनातन धर्म के प्रसार का प्रतीक सनातन पताका
- संगम पर आने वाले साइबेरियन पक्षियों की उपस्थिति दर्शाता पर्यावरण बोध
लोगो पर अंकित श्लोक- 'माघे निमज्जनं यत्र पापं परिहरेत् तत:'। यह बताता है कि माघ मास में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का क्षय होता है।
ज्योतिषीय आधार पर तैयार लोगो
यह लोगो मेला प्राधिकरण द्वारा नियुक्त डिजाइन कंसल्टेंट अजय सक्सेना और प्रागल्भ अजय ने तैयार किया है। लोगो सूर्य और चंद्रमा की उस स्थिति को भी दर्शाता है, जो माघ महीने को विशेष बनाती है। ज्योतिषाचार्य आचार्य हरि कृष्ण शुक्ला बताते हैं-
- सूर्य और चंद्रमा की 14 कलाएँ चंद्र ऊर्जा, मानसिक शक्ति और साधना से जुड़ी मानी जाती हैं।
- चंद्रमा लगभग 27.3 दिनों में 27 नक्षत्रों की परिक्रमा करता है।
- माघ मेला इन्हीं नक्षत्रीय गतियों और खगोलीय गणनाओं पर आधारित है।
- जब सूर्य मकर राशि में होता है और पूर्णिमा पर चंद्रमा माघी, अश्लेषा या पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रों के समीप आता है, तब माघ माह बनता है- और इस अवधि में माघ मेला आयोजित होता है।
माघ मास: साधना, ऊर्जा और कल्याण का समय
ज्योतिष के अनुसार, अमावस्या से पूर्णिमा तक चंद्रमा की बढ़ती कलाएँ (शुक्ल पक्ष) आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ मानी जाती हैं। माघ स्नान की तिथियाँ इन्हीं कलाओं के संतुलन पर तय की जाती हैं। यह महीना दान, तपस्या, कल्पवास, स्नान और पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत पवित्र माना गया है। माघ मास में किए गए आध्यात्मिक कार्य व्यक्ति को ऊर्जा, निरोगता और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।


