सार

जौनपुर के डेहरी गांव में कुछ मुस्लिम परिवारों ने अपने नाम के साथ हिंदू टाइटल जोड़कर सबको चौंका दिया है। वे अपनी 'जड़ों' की ओर लौटने का दावा कर रहे हैं, लेकिन क्या है इस कहानी का पूरा सच?

जौनपुर के एक गांव में ऐसा कुछ हुआ है जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। जरा सोचिये क्या हो अगर मुस्लिम नामों के साथ 'दुबे', 'तिवारी', या 'ठाकुर' जैसे टाइटल जुड़ जाएं? उत्तर प्रदेश के जौनपुर के डेहरी गांव में यह अनोखा ट्रेंड चर्चा का विषय बन गया है। यहां के कुछ मुस्लिम परिवार अपने नाम के साथ हिंदू टाइटल जोड़कर अपनी 'जड़ों' की ओर लौटने का दावा कर रहे हैं।

कहानी कहां से शुरू हुई?

मामला जिले की केराकत तहसील के डेहरी गांव का है, जहां करीब 35 मुस्लिम परिवार रहते हैं। इन्हीं में से नौशाद अहमद नाम के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी की शादी के कार्ड में अपने नाम के आगे 'दुबे' जोड़कर तहलका मचा दिया। शादी का यह निमंत्रण कार्ड सोशल मीडिया से लेकर गांव की चौपाल तक चर्चा का विषय बन गया। नौशाद अहमद दुबे का कहना है कि उनके पूर्वज सात पीढ़ी पहले हिंदू थे और उनके मूल सरनेम ‘दुबे’ को फिर से अपनाने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

क्या है पूर्वजों की कहानी?

नौशाद के अनुसार, उनके पूर्वज लाल बहादुर दुबे हिंदू थे, लेकिन उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया और लाल मोहम्मद बन गए। उनके मुताबिक, उनके पूर्वज आजमगढ़ से जौनपुर आए थे। नौशाद ने हिंदू धर्म से जुड़ी एक संस्था की मदद से अपने पूर्वजों के बारे में जानकारी हासिल की और उसी के आधार पर अपने नाम के साथ 'दुबे' जोड़ लिया।

गांव में सिर्फ नौशाद ही नहीं, बल्कि इसरार अब्दुल्लाह दुबे, इरशाद पांडेय, और ठाकुर गुफरान जैसे कई मुस्लिम परिवारों ने अपने नाम के साथ हिंदू टाइटल जोड़ लिया है। हालांकि, इन परिवारों का कहना है कि उन्होंने अपना धर्म नहीं बदला है। वे अभी भी इस्लामी रीति-रिवाजों का पालन करते हैं और नमाज अदा करते हैं। कुछ लोग इसे अपनी विरासत और पहचान को अपनाने का साहसिक कदम मान रहे हैं, तो वहीं कुछ आलोचकों का कहना है कि यह सिर्फ सुर्खियों में बने रहने का तरीका है।

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